October 3, 2024
Financial Management & Corporate Finance | Antim Prahar 2024 |🔥2/14🔥| Important Questions Answer
 #Finance

Financial Management & Corporate Finance | Antim Prahar 2024 |🔥2/14🔥| Important Questions Answer #Finance


हाय दोस्तों कैसे हैं आप सभी मैं डॉक्टर अनस फिर से अपने youtube2 उसकी प्राइस है स्पेशल ऑफर चल रहा है डिस्क्रिप्शन

बॉक्स में लिंक है आप बाय कर सकते हैं है ना उसके अंदर पूरा का पूरा कंप्लीट सेट आपको सेकंड सेमेस्टर का मिल जाएगा

हार्ड कॉपीज भी अवेलेबल है लेकिन अभी मैं आपको सॉफ्ट कॉपी से रिकमेंड करता हूं क्योंकि एग्जाम बिल्कुल आपके नजदीक आ

गए हैं है ना आ जाते हैं सेकंड क्वेश्चन पे सेकंड क्वेश्चन दो क्वेश्चन का कॉमिनेशन है एक तो पूछ रहा है पॉइंट ऑफ इंफर

क्या होता है और कौन से डिविडेंड पॉलिसीज को अफेक्ट करते हैं अच्छा देखो अ टाइप्स देखे थे फर्स्ट क्वेश्चन के अंदर

क्या फैक्टर्स और टाइप्स साथ में आते हैं यूजुअली नहीं आते हैं क्योंकि ये टाइप्स ही अपने आप में एक बड़ा क्वेश्चन बन

जाता है तो फैक्टर्स अफेक्टिंग डिफिडेंट पॉलिसी एक अलग क्वेश्चन है बट पॉइंट ऑफ इन डिफरेंस क्या होता है इंफर मेंस

कर्व भी बनाते थे अपन इकोनॉमिक्स में कुछ बात याद आ रही होगी वो मैनेजर इकोनॉमिक्स थी वो फर्स्ट सेम की बात थी जहां

हमने पॉइंट ऑफ इंडिफेंसिबल कॉस्ट ये सारी चीजें सीखी थी अभी भी नहीं याद तो कोई बात नहीं देखो इनफर मेंस का मतलब यह

होता है कि जब किसी व्यक्ति को जीवन में दो डिसीजन लेने होते हैं है ना जब किसी व्यक्ति को जीवन में दो डिसीजन लेने होते

हैं मतलब दो चीजों में से डिसीजन लेने होते हैं दो डिसीजन थोड़ा सा मैंने गलत बोल दिया है ना दो चीजों में से किसी को

डिसीजन लेने होते हैं ला कि मेरे को प्लान ए की तरह जाना है या प्लान बी की तरफ जाना है जैसे एमबीए में आपने सोचा होगा जब

एमबीए कर रहे होंगे तो एमबीए करना है या एमए करना है या एमएससी करना है या एमकॉम करना है या कौन सा अदर कोर्स करना है यह

आपने अपने लाइफ के अंदर सोचा होगा तो यह वो सोचा होगा उसमें बहुत सारे अंश लिए होंगे कि यह करूंगा तो यह फायदा है यह

करूंगा तो यह नुकसान है यार पापा ने बोला है तो यह करना है तो पॉइंट ऑफ इंफर यही होता है पॉइंट ऑफ इन डिफरेंस

आइडेंटिफिकेशन प्लान ए और प्लान बी के बीच में एक कंपैरेटिव आइडियो जीी प्रोवाइड करता है इन द टर्म्स ऑफ द इकोनॉमिक्स

इसी को ही पॉइंट ऑफ इंफर बोलते हैं सिचुएशन वेयर इंडिविजुअल फॉर्म इन डिफरेंस बिटवीन टू र मोर ऑप्शंस हम यहां पर दो

ऑप्शन मैंने मिनिमम बोले दो या दो से ज्यादा ऑप्शन भी हो सकते हैं लाइक आप एमबीए करने से पहले आपके पास एक नंबर्स ऑफ

कोर्स थे एमए एमकॉम होगा एमए होगा एमए के अंदर भी बहुत सारे एमए हिस्ट्री इकोनॉमिक्स पॉलिटिकल साइंस है ना आ है ना बहुत

सारे कोर्स थे उनमें से आपने एमबीए चूज करा तो एमबीए जब आपने चूज करा तो उसके जो कंपैरिजन किया गया उसी को ही पॉइंट ऑफ

इंफर बोलते हैं ठीक है इसी ये सिंपल सी बात समझ में आई है ना जिसका यूज कहां-कहां किया जाता है जिसका यूज फाइनेंशियल

डिसीजंस के अंदर हम इन्वेस्टमेंट के अंदर लेते हैं प्राइसिंग डिसीजन में लेते हैं रिसोर्स एलोकेशन में लेते हैं

लोकेशन डिसीजन में लेते हैं कि हमारा बिजनेस कहां पे रन होना चाहिए प्रोडक्ट की टेक्निक्स में ली जाएगी जैसे कि रॉ

मटेरियल अवेलेबिलिटी कैसे हमको प्रोड्यूस करना है या आउटसोर्स करना है यानी कि आप फाइनेंशियल ऑपरेटिंग है ना

ऑपरेटिंग डिसीजन फाइनेंशियल डिसीजन इन्वेस्टमेंट डिसीजन ये तीनों ही डिसीजन में यूज लिखते हैं कव छछ सात सात पॉइंट

लिख देना अब नेक्स्ट आ जाता है कौन से फैक्टर्स है जो डिविडेंड पॉलिसी को अफेक्ट करते हैं कि मेरे को स्टेबल डिविडेंड

रखना है रेसिड्यू रखना है जीरो पेआउट रखना है क्या रखना है कौन सी डिविडेंड तो नॉर्मल बात है कि मेरा डिविडेंड किसके

ऊपर डिपेंड करेगा मेरे प्रॉफिट के ऊपर तो प्रॉफिटेबिलिटी के ऊपर अर्न करता है सेकंड मेरे पास कैश फ्लो प्रॉफिट तो आया

लेकिन हो सकता है कैश के कारण नहीं आया कैश फ्लो मेरा कम है यानी कि कैश फ्लो आपने हमने कैश फ्लो पढ़ा था फर्स्ट

सेमेस्टर के अकाउंटिंग फॉर मैनेजर वाला सब्जेक्ट रहा था उसके अंदर हम कैश फ्लो निकाल रहे थे तो कैश फ्लो कम होगा तो

डिविडेंड भी कम जाएगा और वो हमारी पॉलिसीज आप स्क्रिप्ट कर रहे हो स्टॉक एज अ डिविडेंड वो कैश फ्लो लो कैश फ्लो वाली

कंपनी प्रेफर करती है नेक्स्ट हमको कैपिटल की कितनी रिक्वायरमेंट है फ्यूचर के डिसीजन के लिए डेप्ट का क्या लेवल रहने

वाला है यानी कि कर्जा कितना है जितना कम कर्जा होगा उतनी कंपनी ग्रोथ ज्यादा करेगी ऐसा कुछ भी नहीं है याद रखना

क्योंकि ज्यादा बड़ी बैलेंस शीट डेप्ट ज्यादा डेप्ट ज्यादा लॉस को रिप्रेजेंट नहीं कर रही होती डेप्ट का भी एक रेशो

होता है कि आपका इंटरनल डेप्ट कितना है एक्सटर्नल डेप्ट कितना है और उसमें आपको ऋण चुकाने की क्षमता कितनी है

सॉल्वेंसी क्या चल रही है आपकी जितनी ज्यादा हाई सॉल्वेंसी होगी उतना ज्यादा आपको डेप्ट मिलेगा और उतना ज्यादा ग्रोथ

करने के चांसेस है जैसे कि डेंट को कैसे प्रभावित करेगी क् डेप्ट होगा तो इंटरेस्ट होगा तो वो फिक्स्ड इंटरेस्ट आता है

लिवरेज के क्वेश्चंस में अपन ने बताया है कि फिक्स्ड इंटरेस्ट होता है और डिविडेंड फिक्स्ड हो ऐसा जरूरी नहीं है

कंपनी के अंदर प्राइवेट हो पब्लिक हो वैसे तो प्राइवेट डिविडेंड देती ही नहीं है क्योंकि उनके तो वो रहते हैं पब्लिक

जो भी कंपनीज रहती हैं है ना वो डिविडेंड जो रहती है वो ऐसा फिक्स्ड नहीं है कंपनी लॉ में कहीं भी मेंशन नहीं है कि आपको

इतने परसेंट डिविडेंड देना ही होगा प्रेफरेंस शेयर पे जो परसेंटेज है वो देना कंपलसरी है % 6 पर वो एज अ इंटरेस्ट लेकिन

आपको पेमेंट करना होगा इतना डिविडेंड कहीं भी कंपनी लो 1956 या 2013 नहीं लिखा हुआ है इंडस्ट्री और बिजनेस के साइकिल भी

डिपेंड करती है यदि साइक्लिकल बिजनेस है 6 महीने या 3 महीने या ौ महीने का बिजनेस है है ना बहुत से बिजनेसेस होते हैं

साइक्लिकल होते हैं तो उसमें डिविडेंड देने में कोई दिक्कत नहीं आती क्योंकि कैश फ्लो बाद में आ जाता है अब अगर यरली

साइकिल है तो वहां पे कैश फ्लो में दिक्कत आती है इन्वेस्टमेंट की अपॉर्चुनिटी हाई होगी तो डिविडेंड लो जाएगा याद

रखना इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी हाई होगी तो डिडेंट लो और इन्वेस्टमेंट की अपॉर्चुनिटी लो होगी तो डिविडेंड हाई

जाएगा शेयर होल्डर का प्रेफरेंस चेक किया जाता है यदि आपका प्रमोशन नल शेयर होल्डर्स आपके जो प्रमोटिंग है प्रमोटिंग

ओनर्स जो हैं वही ज्यादा अगर शेयर लेकर बैठे हैं तो आपका डिविडेंड हमेशा कम होगा है ना इसलिए प्राइवेट कंपनीज में

डिविडेंड कम दिया जाता है क्योंकि जो शेयर होल्डर्स हैं वही पूरा पैसा शेयर्स लेकर बैठे हैं तो उन्हीं को वापस से वो

पैसा मिल जाएगा जिससे क्या होगा उनको टैक्स देना पड़ेगा इसलिए वो ऐसे कभी भी डिविडेंड उनका रहता नहीं है कि हम ज्यादा

डिविडेंड बांटे ठीक है लीगल एंड रेगुलेटरी फैक्ट्स भी रहते हैं कहीं पे अगर आपने एजीएम में घोषणा कर दी तो आपको

डिविडेंड देना होगा लेकिन फिर से मैंने कहा आपकी सॉल्वेंसी आपकी लिक्विडिटी और आपकी कैपिटल मेंटेनेंस डिपेंड करती

है आपके डिविडेंड के ऊपर इसके अलावा टैक्स कंसीडरेशन ओनरशिप का स्ट्रक्चर ओनरशिप स्ट्रक्चर मैंने आपको बता दिया हाई

अगर ओनरशिप अगर कैपिटल अगर ज्यादा ओनर्स के पास में है इक्विटीज उनकी ज्यादा है तो वो लो डिविडेंड देते हैं और इक्विटी

अगर हाई होती है बाहर व्यक्तियों के पास ज्यादा होती है थर्ड पार्टी होती है तो वो हाई डिविडेंड देते हैं मार्केट का

परसेप्शन यदि इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी की बात आ गई डिविडेंड की स्टेबिलिटी कि हम कौन सी डिविडेंड पॉलिसीज अपना रहे

हैं हम देना चाहते हैं कि नहीं देना चाहते हैं तो एक बहुत सिंपल सा क्वेश्चन है अच्छे से अपन ने देख लिया कि फैक्टर्स

कौन-कौन से हैं जो डिविडेंड को अफेक्ट करते हैं इसके अलावा अपन ने क्या देखा कि इंडिफेंसिबल टर्म्स की बात हो रही है

उसको इंडि बोला जाता है क्लियर हो गया बहुत सिंपल क्वेश्चन है तो चलिए आगे बढ़ते हैं सीरीज आगे बढ़ाते हैं जय हिंद

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29 thoughts on “Financial Management & Corporate Finance | Antim Prahar 2024 |🔥2/14🔥| Important Questions Answer #Finance

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    PROCUREMENT WEREHOUS

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    AAPSE HI LAST UMMID HAI SIR PLEASE REPLY JARUR DIJIYE SIR

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