November 23, 2024
NTPC Green IPO: 100 Risk Factors (almost)! Challenges to Green Finance in India #Economy #SEBI #UPSC
 #Finance

NTPC Green IPO: 100 Risk Factors (almost)! Challenges to Green Finance in India #Economy #SEBI #UPSC #Finance


जी नमस्कार मित्रों यह एनटीपीसी ग्रीन का आईपीओ आया है और उन्होंने खुद से सेबी में यह बताया है कि हमारे आईपीओ में

ऑलमोस्ट 100 रिस्क फैक्टर है तो फिर बचा क्या समझते हैं एक सरकारी कंपनी है एनटीपीसी जो कोयला जलाकर बिजली बनाती है

थर्मल पावर इन्होंने अपने नीचे एक सब्सिडियरी कंपनी खोली जिसका नाम है एनटीपीसी ग्रीन जो यह सोलर विन टाइप की हरित

ऊर्जा ग्रीन एनर्जी बनाएगी अब य इस ग्रीन एनर्जी वाली यह कंपनी को जनता से पैसा चाहिए तो उन्होंने अपना आईपीओ लांच

किया इनिशियल पब्लिक ऑफर अब स्वाभाविक है जब भी ऐसा आईपीओ लंच करते हैं तो सेबी से मंजूरी लेनी पड़ती है और कंपनी ने

सेबी में एक रेड हेयरिंग प्रोस्पेक्टस यानी आरएचपी अपलोड करना होता है कोई भी उसे डाउनलोड करके पढ़ सकता है तो मैं पढ़

रहा था तो एनटीपीसी ग्रीन ने खुद ऑफिशियल कबूल किया है अपने प्रोस्पेक्टस में कि हमारे 98 रिस्क फैक्टर हैं इन कंपेरिजन

स् स्विगी का आईपीओ जो अभी आया उसमें 83 रिस्क फैक्टर लिस्ट थे 8080 इस फैक्टर थे र हम यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं आईएस

आईपीएस एग्जाम जो मेंस एग्जाम होती है उसमें आप जानते हैं जनरल स्टडीज मेंस पेपर थ्र उसमें टॉपिक्स है

इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनवायरमेंट तो उसी का एक मुद्दा बनता है चैलेंस टू ग्रीन फाइनेंस कि यह कंपनी का आईपीओ लंच करने

में इनको 98 रिस्क फैक्टर कैसे देखिए सारे 98 फैक्टर्स तो हम पढ़ने नहीं बैठेंगे जो एग्जाम में काम के हैं लिखने लायक है

निबंध में इंटरव्यू में उसकी हम चर्चा करें यह जो एनटीपीसी ग्रीन कंपनी है उसने कहा कि हमारी खुद की 9000 एकड़ जमीन है

जिसमें हमने यह सोलर और विंड पावर प्लांट सब लगाए हैं और बाकी 45000 एकर जमीन हमने लीज पर या रेंट पे या किराए पर किसी से ली

होगी स्टेट गवर्नमेंट से किसी बड़े किसान से और ऐसी जो इनकी लीज पीरियड है 12 साल 15 साल ऐसा कुछ हो सकता है अब यहां पर

उन्होंने अपना रिस्क मेंशन किया देखिए भारत के अंदर जमीन के जो कानून है जो राज्य सरकार उस परे देखती है वह सब क्लियर

नहीं है कुछ भी डिस्प्यूट हो सकते हैं और उसकी सालों तक कोर्ट में लड़ाई चल सकती है दूसरा 12 साल के लिए रेंट प जमीन ली है

आपने अब सामने वाली पार्टी रिन्यू नहीं करे तो 12 साल बाद इन्होंने अपना पूरा सोलर विन का तामझाम कहीं और शिफ्ट करना

पड़े तो जब ज्यादातर लीज पे लेकर जमीन पर यह काम हो रहा है इट कैन क्रिएट प्रॉब्लम्स दैट इज द फर्स्ट रिस्क दूसरा बड़ा

रिस्क इन्होंने बताया है पॉलिटिकल अनस्टेबल जो यह सोलर विंड एनर्जी बना रहे हैं उसमें 62 सोलर एनर्जी इनका राजस्थान से

बनक आता है और जितनी यह हरित ऊर्जा बेचते हैं उसमें 47 पर यह तेलंगाना की इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को

बेचते हैं अब यह दोनों ही राज्यों के अंदर इनका मतलब मेजर बिजनेस है एक तरफ से इनपुट दूसरी तरफ से आउटपुट इसमें से किसी

में भी अगर रेजीम चेंज हो जाए तो उसकी दिक्कत हो सकती है और ऐसा पहले भी हुआ है आप याद करो रतन टाटा को ननो कार बनानी थी तो

पहले वेस्ट बंगाल के सिंगूर के अंदर वह इसे बनाना चाहते थे लेकिन तब ममता बैनर्जी विपक्ष में थी उन्होंने सब आंदोलन

करवाया टाटा को वो जमीन छोड़ के गुजरात के साणंद में नैनो प्लांट लगाना पड़ा फिर कई सालों तक क्ट में लड़ाई करने के बाद

वेस्ट बंगाल सरकार ने कोट का ऑर्डर आया कि वेस्ट बंगाल सरकार ने टाटा का नुकसान हुआ है उसके 700 करोड़ से ज्यादा भरपाई

करनी होगी लेकिन ऐसी जो इकोनॉमिक पॉलिसी अनसर्टेनटीज में अनिश्चितता उसके चलते बिजनेसमैन या कोई भी कंपनी फेसेस

मेनी चैलेंज तो अगर राजस्थान और तेलंगाना में विपक्ष की सरकार आ जाए और वह सोचे य तो केंद्र सरकार की कंपनी इसको क्यों

इतना हमें मदद करना है तो इट कैन क्रिएट प्रॉब्लम्स सोलर और विंड प्रोजेक्ट जो होते हैं आप अभी लगाएंगे तो उसमें जितना

इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होगा आप किसी को बेचेंगे आपका पूरा इन्वेस्टमेंट प्रॉफिट रिकवर होने में लगभग 25 साल लग जाते हैं

तो 25 साल लग जाएंगे बहुत सारी जमीन 12 12 साल के रेंट पे ली है तो आप समझो य पूरा मोनेटाइजेशन में चैलेंज हो जाएगी सोलर

एनर्जी विंड एनर्जी को ग्रीन हाइड्रोजन से भविष्य में चुनौती हो सकती है ऐसा यह आईपीओ प्रोस्पेक्टस खुद कहता है अब

यहां पर तकलीफ क्या होगी कि ठीक है तो फिर एनटीपीसी अगर कह रहा है हम ग्रीन है तो सोलर और विंड पे तो स्टम थोड़ी मार है

ग्रीन हाइड्रोजन पे भी आप रिसर्च चालू कर दो लेकिन इनका उस परे रिसर्च पर फोकस थोड़ा कम है इन्होंने आईपीओ में जनता से

जो पैसा उठा रहे हैं वह उसमें से एक बड़ी रकम तो व पुराने लोन चुकाने में ही चली जाएगी नॉर्मली वट शुड है अपन आईपीओ में

आप नया पैसा लेते हैं तो कंपनी ने उन पैसों से नया प्रोडक्ट लंच करे नए ब्रांच खोले रिसर्च डेवलपमेंट करें यह सब काम

होने चाहिए तो ग्रीन हाइड्रोजन कैन गिव लॉट ऑफ चैलेंज अब भविष्य में आप सोचो इलन मस्क की इलेक्ट्रिक व्हीकल कार है तो

उसको भी चार्ज करने के लिए सोलर विंड चाहिए लेकिन भविष्य में अब वो हाइड्रोजन कार लेकर आए और फिर वह अमेरिकन सरकार

डोनाल्ड ट्रंप वगैरह को कहे कि अभी हाइड्रोजन कार को ज्यादा प्रमोट करते हैं ऐसा नैरेटिव बनाते हैं तो फिर यह

क्लाइमेट चेंज की समिट लेक भविष्य में जितना भी क्लाइमेट चेंज का डील्स होगा उसमें वो कहेंगे नहीं सोलर विंड के लिए कम

पैसा देना है हाइड्रोजन और हाइड्रोजन व्हीकल को मोबिलिटी के लिए बहुत पैसा देना है अगर ऐसा हुआ तो भविष्य में फिर ऐसी

ही कंपनियों को प्रमोट करने के लिए सरकार भारत सरकार पे भी धीरे-धीरे दबाव बने कि सोलर विंड को कम सब्सिडी दें ग्रीन

हाइड्रोजन को ज्यादा सब्सिडी दें और ये एनटीपीसी वाला तो सब फैला के बैठे लगभग 90 पर इनका इलेक्ट्रिसिटी तो इन्हीं से

बनता है सोलर विंड से सो इट विल क्रिएट न्यू प्रॉब्लम्स आगे यह एनटीपीसी ग्रीन संस्था है उसने कहा कि हमारा ज्यादातर

स्टाफ खुद का भर्ती किया हुआ रिक्रूट किया हुआ नहीं है हमारे ऊपर जो पेरेंट कंपनी है यह एनटीपीसी जो कोयला जला के बिजली

बनाती है उन्होंने ही हमें सब एक प्रकार से आउटसोर्सिंग या डेपुटेशन में प्रतिनियुक्ति में यह सारा स्टाफ दिया है तो

भविष्य में यह सब एनटीपीसी ओरिजिनल कंपनी जिसकी सब्सिडियरी कंपनी इनमें ऊपर से ही नीचे स्टाफ आया है यह लोग सब हड़ताल

पर चले जाए स्टार्क प चले जाए कि भाई कोल वाली कंपनी में तो ज्यादा प्रॉफिट डिविडेंड और प्रमोशन जल्दी-जल्दी आते थे इधर

तो तुम्हारा कुछ हो नहीं रहा हमारा करियर खराब हो रहा है हमारी सीनियरिटी से लेकर कुछ भी दिक्कतें हो सकती तो यह भी

उसने पाया कि हमारे खुद का स्टाफ नहीं है यह भी हमारे लिए एक चुनौती है और इससे बड़ी चुनौती जब हम ग्रीन एनर्जी के बारे

में सोचे कि ऐसी जो भी सरकारी संस्थान है या सरकारी कंपनी है रिक्रूटमेंट में चिंदी गिरी क्योंकि यहां पर स्पेशलाइज

मैन पावर इ रिक्वायर्ड तो चाहे वह इंजीनियरिंग कॉलेज के कोर्सेस हो ऊपर एमबीए एचआर के जो कोर्सेस हो और यह ऐसी कंपनी

चलाने के लिए सरकार ने जो रिक्रूटमेंट करनी चाहिए वो सब में ज्यादा भ करने की जरूरत है कंपनी ने यह भी कहा कि हमारी खुद

की अभी ऑफिस या कॉर्पोरेट हेड क्वार्टर नहीं है हमारा यह जो लोगो है एनटीपीसी यह भी हमारा खुद का नहीं है ऊपर वालों ने

हमको बना के दिया है तो मतलब कि जो एक हार्डकोर फियर्सनेस होनी चाहिए paytm2 या कोई भी आया कि खुद का हेड क्वार्टर है खुद का

लोगो है वोह तो खुद का होना चाहिए यह भी ऊपर से बना के दे रहे हैं और खुद की ऑफिस भी नहीं मतलब यह एनटीपीसी के ऑफिस में बैठ

के अभी काम करते होंगे तो ये टिपिकल सरकारी कल्चर दिखा रहा है कि हां ठीक है कर लेते हैं कुछ पैसा आ जाए आईपीओ से तो ऐसे

तो कंपनियां चल नहीं सकती लॉन्ग टर्म के लिए सस्टेनेबल हो नहीं सकती और सरकार तो धक्का मार मार के चलती भी रहेगी टैक्स

पेयर के पैसों से लेकिन प्रॉफिटेबल नहीं हो सकती खैर ऐसे सब रिस्क बिजनेस में तो होते रहते हैं लेकिन आपने यूपीएससी की

तैयारी में अपने रिस्क को कम करना है अच्छे टीचर्स के साथ आप पढ़िए लाइव क्लासेस प्रीलिम मेंस सीसेट आंसर राइटिंग सब

कुछ और यह अनअकैडमी का यूपीएससी एग्जाम के लिए अपना सब्सक्रिप्शन बल ओजी आप कोड यूज करते हैं यू कैन गेट इट अफोर्डेबल

प्राइस और यह अनअकैडमी ऐसी चीज है कि

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29 thoughts on “NTPC Green IPO: 100 Risk Factors (almost)! Challenges to Green Finance in India #Economy #SEBI #UPSC #Finance

  1. Timestamps
    00:09 Brief Overview of NTPC Green Company
    00:45 RHP of NTPC compared to Swiggy & Paytm
    01:19 Risk1-Land lease disputes
    02:22 Risk2-Political stability in Telangana & Rajasthan
    03:01 Example Case of Tata vs Mamta in W.Bengal
    03:45 Risk3-Gestation period
    04:05 Risk4-Green Hydrogen Competition
    04:43 Risk5-Subsidy Support
    05:37 Risk6-Staff unrest
    06:39 Risk7-Not having an office yet
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