हेलो फ्रेंड्स बहुत सारे इन्वेस्टर हमेशा से एक डिलमा में रहते हैं म्यूचुअल फंड और स्टॉक का डिलमा पैसा म्यूचुअल
फंड में इन्वेस्ट करें या स्टॉक में इन्वेस्ट करें या दोनों में थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्ट करें अगर थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्ट
करते हैं तो किसमें कितना करें ये सभी के कॉमन सवाल हैं जो कि आज हम डिस्कस करेंगे कर्नल संदीप महलवार से जो कि
फाइनेंशियल एक्सपर्ट भी है हेलो सर वेलकम टू द शो थैंक यू एंड इट्स ऑलवेज गुड टू बी हियर सर स्टार्ट करने से पहले मैं
पूछना चाहूंगी म्यूचुअल फंड और स्टॉक का एक सिंपल एक बेसिक मीनिंग होता है वो आप हमारे दर्शकों को बताइए कि म्यूचुअल
फंड क्या होता है और स्टॉक क्या होता है देखो बहुत ही अच्छा सवाल है और इसमें काफी लोग कंफ्यूज रहते हैं कि म्यूचुअल
फंड क्या है और स्टॉक्स क्या है क्या दोनों सेम है देखो स्टॉक्स क्या होता है स्टॉक्स के थ्रू या शेयर्स के थ्रू जब आप
कोई शेयर खरीदते हो एक कंपनी में आप हिस्सेदार बनते हो तो आपका हिस्सा हो जाता है उसमें उसके बाद वो कंपनी अच्छा कर रही
है उसका प्राइस अच्छा जा रहा है तो आपके उसकी वैल्यू बढ़ती है तो आपकी वेल्थ बढ़ती है अगर वो अच्छा नहीं कर रही है और
उसका प्राइस नीचे जा रहा है तो आपकी वैल्यू नीचे जाती है तो ये होता है स्टॉक्स स्टॉक्स को इन्वेस्ट करने का तरीका यह
है कि आपने डीमेट अकाउंट खोलना है जो किसी ब्रोकर के आप साथ खोलेंगे और उसको आप जो है मार्केट में खरीदोगे मार्केट मंडे
टू फ्राइडे खुलता है 915 से लेके 3:30 बजे तक चलता है तो उसमें कुछ लोग बिड करते रहते हैं कुछ ऑफर करते रहते हैं आपने बिड करना
है शेयर खरीदने के लिए और कोई ऑफर करेगा तो आप उनको वो शेयर मिल जाएगा तो यह होता है आपका स्टॉक्स और इसमें दूसरे वाली
जरूरी चीज होती है कि आपने कौन सा शेयर लेना है शेयर तो हजारों रादा 100 हज शेयर्स है जो मार्केट में ट्रेड होते हैं आपने
कौन सा लेना है तो खुद ने रिसर्च करना है डिसाइड करना है सेलेक्ट करना है फिर मॉनिटर करना है और खुद डिसाइड करना है अब
आते हैं म्यूचुअल फंड पे म्यूचुअल फंड में जो इन्वेस्ट होता है वो इनडायरेक्टली इन्वेस्ट होता है मतलब कि काफी सारे
लोग इकट्ठा करके पैसा म्यूचुअल फंड कंपनी में देते हैं वहां पर फंड मैनेज होता है वो अपना रिसर्च करता है और अपने हिसाब
से वो अपनी रिसर्च के हिसाब से स्टॉक्स में इन्वेस्ट करता है तो होता तो स्टॉक्स में पर इनडायरेक्टली होता है उसके
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आपने मार्केट में या ऑनलाइन होने की जरूरत नहीं है और डीमेट अकाउंट की भी जरूरत
नहीं है आप वो फिजिकली भी इन्वेस्ट कर सकते हो फिजिकल फॉर्म के थ्रू और ऑनलाइन भी कर सकते हो और आपको 9:1 और 3:30 बजे के बीच
में जरूरत नहीं है आप कभी भी आप इन्वेस्ट करेंगे वो आपका पैसा इन्वेस्ट हो जाएगा उसके बाद में आपके बिहाव पे फंड मैने
जो है वो उस मैनेज फंड्स को मैनेज करेगा कल चेंज करने की जरूरत है कुछ करने की जरूरत है वो उसका काम होता है तो ये दोनों
में बेसिक डिफरेंस होता है एक में डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट है एक में इनडायरेक्ट है ओके मुझे अगर म्यूचुअल फंड स्टॉक
में इन्वेस्ट करना हो तो मुझे किन किन चीजों को ध्यान में रखना होगा अच्छा जहां तक स्टॉक्स डायरेक्ट स्टॉक्स
पोर्टफोलियो या म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में इन्वेस्ट करना है उसमें तीन चार चीजें ध्यान रखने वाली बात होती है
पहली बात तो आती है रिस्क आपने अपने रिस्क के हिसाब से इन्वेस्ट करना है तो रिस्क किसमें ज्यादा है ओबवियसली जब आप
स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते हो आप एक पर्टिकुलर स्टॉक में या शेयर में इन्वेस्ट करते हो कंपनी में इन्वेस्ट करते हो
अगर वो कंपनी बढ़िया कर रही है तो आपके रिटर्न्स ज्यादा बन जाएंगे लेकिन उसमें रिटर्न्स के चांसेस ज्यादा के हैं
लेकिन रिस्क भी उतना ही है अगर उस कंपनी के बारे में कोई भी नेगेटिव न्यूज़ है या कंपनी अच्छा नहीं कर रहा तो उतना ही
आपका डाउन भी हो सकता है और इसमें आप क्योंकि कंसंट्रेटेड एक या कुछ कंपनियों में इन्वेस्ट कर रहे हो तो उनकी
परफॉर्मेंस पर डिपेंड करेगा आपका इन्वेस्टमेंट जो कि ऊपर भी ज्यादा हो सकता है और नीचे भी रिस्क भी ज्यादा है स्टॉक्स
का जब आप सिलेक्शन भी करते हो तो आपकी खुद रिसर्च करनी पड़ती है अगर रिसर्च आपकी काम कर गई तो बहुत अच्छे पैसे बन जाएंगे
लेकिन नहीं करनी तो नहीं बनेगी अब आते हैं म्यूचुअल फंड्स में म्यूचुअल फंड में भी रिस्क होता है लेकिन एक म्यूचुअल
फंड आपके लिए तो एक है वो 40 से 50 कंपनियों में इन्वेस्ट करता है इवन इक्विटी म्यूचुअल फंड और वो आपसे तो पैसा चला गया वो
कुछ पैसे को डेट में भी रख सकता है डिस्पाइना तो वो डाइवर्सिटी जीी के हिसाब से इन्वेस्ट करेगा तो उसमें आपका रिस्क कम
होता है अब आते हैं रिटर्न्स देखो रिटर्न्स के चांसेस दोनों में है स्टॉक्स में अगर आपकी कंपनी जो आपने सेलेक्ट करी
अगर बहुत अच्छा चलती रही तो आपके अच्छे रिटर्न्स बनते रहेंगे नहीं बनी तो आपके रिटर्न्स नहीं बनेंगे ओके म्यूचुअल फंड
में जो फंड मैनेजर है वो सेलेक्ट करता है और एक से ज्यादा कंपनियों में इन्वेस्ट करता है और वहां पे रिटर्न्स वहां भी
बनते हैं अगर मैं लंबा टाइम स्ट्रेच करूं लोगों को लगता है केवल स्टॉक्स में रिटर्न्स बनते हैं या स्टॉक्स में
रिटर्न्स बनते हैं पर एक स्टॉक सदा नहीं चलता रहता वो लो स्टॉक के अप और डाउन फेसेस आते हैं म्यूचुअल फंड के भी
रिटर्न्स कम नहीं है अगर मैं पिछले 3040 साल का डाटा देखूं तो पिछले 10 साल में भी कई सारे म्यूचुअल फंड्स हैं जिन्होंने 10
गुना से ज्यादा रिटर्न्स दे दिए हैं एक म्यूचुअल फंड की बात करूं जो 30 साल पहले से चल रहा है 95 96 में आया था और उसने 400 गुना
तक रिटर्न दिए हैं ओके तो रिटर्न्स दोनों में बनते हैं ये दो दो चीजें होती है सर अगर मेरे पास समय नहीं है तो मुझे
किसमें इन्वेस्ट करना चाहिए हां तीसरा एक एस्पेक्ट होता है जो आपने कंसीडर करना है कि टाइम अगर आपके पास टाइम है और
आपके पास कैपेबिलिटी है और एबिलिटी है रिसर्च करने की और आपके पास वो स्किल है तो रिसर्च करिए स्टॉक्स में इन्वेस्ट कर
सकते हैं आप अगर आपके पास टाइम नहीं है तो म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट आपके लिए ज्यादा अच्छा होगा और स्पेशली जब आप नए
इन्वेस्टर है तो म्यूचुअल फंड के थ्रू ही आपने जाना चाहिए क्योंकि उसमें आपको रिसर्च करने की जिम्मेवारी एक फंड
मैनेजर की होती है और आपका पोर्टफोलियो वो अच्छी तरह ओवर द पीरियड ऑफ टाइम ग्रो करके देगा तो यह तो हो गए तीन फैक्टर्स
अगली जो चीज आपने ध्यान रखनी है वह है डायवर्सिफिकेशन डायवर्सिफिकेशन वैसे तो दोनों में पॉसिबल है लेकिन स्टॉक्स में
डायवर्सिफाई करने के लिए क्योंकि इंडिया में पार्ट स्टॉक तो खरीद नहीं सकते हो तो आपने उतने ही तरह के स्टॉक्स अपने
इन्वेस्ट करने पड़ेंगे उसके लिए हो सकता है आपको पैसे से ज्यादा चाहिए क्योंकि अगर आपने बोला कि मुझे एमआरएफ का शेयर
पसंद है एमआरएफ का खुद का शेयर एक शेयर 135000 के करीब है 1 35 में आपने वो स्टॉक खरीदा अभी मैंने मान लीजिए उसको डायवर्सिफाई
करना है एक reliance1 का है तो 3000 उसमें लगाने फिर एसबीआई का 800 900 का है 800 900 तो ऐसे आपने डायवर्सिफाई करने के लिए पैसे भी ज्यादा
चाहिए और खुद ने रिसर्च करना है कि डायवर्सिफिकेशन चार स्टॉक करके खरीद के डायवर्सिफिकेशन नहीं होगा डायवर्सिफिकेशन
एक्चुअल मीनिंग तो होता है एसेट क्लास या डिफरेंट एसेट क्लास में जाना है तो थोड़ा गोल्ड खरीदना है थोड़ा डेट खरीदना
है तो वो आपने करना पड़ेगा बिलकुल म्यूचुअल फंड में जब एक म्यूचुअल फंड में आप कितने भी पैसे लगा ले हो चाहे हज लगाओ या
2000 लगाओ तो वो म्यूचुअल फंड स्कीम किसी एक स्टॉक में नहीं लगाता वो 40 से 50 स्टॉक्स में लगाता है तो स्टॉक्स में इक्विटी
में डायवर्सिफाई हो गया उसका 30 से 35 पर वो डेट में भी रह सकता है कैश में भी रह सकता है कि डिपेंडिंग ऑन द हिज स्ट्रेटजी और
मार्केट अपॉर्चुनिटी कि वो कैश में रह के भी जिस दिन मार्केट गिरे तो उस दिन वो पैसा लगाएगा तो उसमें डायवर्सिफिकेशन
आराम से हो जाता है तो ये तीन चार चीजें फैक्टर्स हैं जो आपने ध्यान रखने हैं स्टॉक्स में इन्वेस्ट करने के लिए या
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए ओके दोनों में इन्वेस्ट करने के लिए मिनिमम कितने अमाउंट से स्टार्ट करना
चाहिए देखो जहां तक मिनिमम अमाउंट की बात है स्टॉक्स में तो क्लियर है अगर आपने कम से कम एक स्टॉक खरीदोगे तो जो आपने
कंपनी सिलेक्ट करी है अपनी रिसर्च के हिसाब से अपने जो आपका जो भी हाइपोथेसिस इन्वेस्टमेंट का तो व उसका कम से कम उतना
पैसा आपको चाहिए आपने लाय में इन्वेस्ट करना है तो 000 चाहिए बिलकुल एमआरएफ में खरीदना है तो 1 लाख प्लस चाहिए ऐसे ही अबो
इंडिया का शेयर है व आई थिंक 0000 हज का तो उतने पैसे चाहिए आपको और जहां तक म्यूचुअल फंड की बात है वहां पर आप छोटे से छोटा
भी इन्वेस्ट कर सकते हो कुछ म्यूचुअल फंड तो अलाव करते हैं आप 00 से भी आप स्टार्ट इन्वेस्टमेंट कर सकते हो मंथली एसआईपी
भी कर सकते हो तो छोटा अमाउंट म्यूचुअल फंड में पॉसिबल है लेकिन आपको स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना है तो जो स्टॉक का
प्राइस है कम से कम उतना अमाउंट तो आपने डालना पड़ेगा सर लिक्विडिटी के मामले में यह दोनों ऑप्शन कैसा परफॉर्म करते
हैं यस लिक्विडिटी एक बहुत इंपोर्टेंट एस्पेक्ट है जो सबको कंसीडर करना चाहिए लिक्विडिटी नॉर्मली तो दोनों में ही
पॉसिबल है लेकिन थोड़ा अंतर भी है जहां तक इक्विटी की बात है प्योर स्टॉक्स की बात है जिस स्टॉक में आपने इन्वेस्ट किया
है और जिस दिन आप बेचना चाहते हैं उस दिन उसके खरीदार है तो आपको वो स्टॉक बिक जाएगा लेकिन कभी-कभी हमने देखा है जब
मार्केट में क्राइसिस होते हैं या आपके जो कंपनी है जिसमें आपने इन्वेस्ट किया उसमें कोई बैड न्यूज चल रहा है तो लोवर
सर्किट लग जाता है तो आप बेच नहीं पाएंगे कोई क्योंकि उस लोवर सर्किट लग गया तो कोई खरीद नहीं है तो आपकी लिक्विडिटी
इशू हो सकती है और ये हमने अच्छी-अच्छी कंपनियों में भी देखा है जब कोविड का टाइम हुआ या ग्लोबल क्राइसिस हुए 2008 में लोवर
सर्किट लग गया तो अच्छी-अच्छी स्टॉक्स भी बिक नहीं पाए जहां तक म्यूचुअल फंड की बात है चाहे कुछ हो जाए अगर आपने सेल
ऑर्डर डाल दिया तो टाइम से अगले दिन अगर डेट फंड है या लिक्विड फंड है तो अगले दिन नहीं तो इक्विटी फंड है तो दो दिन में
आपके पैसे आने ही आने हैं दुनिया में कोई ऐसी चीज नहीं है कि आपकी पैसे को रोक सके तो लिक्विडिटी म्यूचुअल फंड्स में
गारंटीड होती है नॉर्मली इक्विटी में भी होती है ओके सर टैक्सेशन के रूल्स क्या है म्यूचुअल फंड और स्टॉक्स के लिए
टैक्सेशन दोनों में ही अगर इक्विटी बेस म्यूचुअल फंड ले तो दोनों के लिए सेम रूल है शॉर्ट टर्म टैक्स लगेगा आपका जो
आपका होल्डिंग होता है एक दिन से लेकर 300 65 दिन तक आपका शॉर्ट टर्म टैक्स लगता है जो 20 पर होता है 20 पर ऑफ द गेन जो लॉन्ग
टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है वो मोर देन 365 डेज लगता है एक साल से ज्यादा आपने कुछ इन्वेस्टमेंट होल्ड किया स्टॉक्स है
या म्यूचुअल फंड है तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन लगेगा जिसमें हर साल 125000 तक आपको टैक्स फ्री अमाउंट मिलता है जो गेन
कंपोनेंट है तो 125000 तक टैक्स फ्री उसके ऊपर जो गेंस है उसपे 125 पर टैक्स लगता है लेकिन इसमें थोड़ा सा डिफरेंस तब आता है
क्योंकि जब आप मार्केट में इन्वेस्ट करते हो आज जो स्टॉक या जो सेक्टर या जो थीम चल रही है वह सदा तो वो चलती नहीं बकुल
तो आपने टाइम टू टाइम अलाइन करना होता है अगर अच्छे गेम्स बनाने हैं उसको अलाइन करने के लिए आप एक स्टॉक से दूसरे
स्टॉक्स में जाओगे तो आपने हो सकता है 365 दिन ना दिए हो तो आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लगेगा एसटीटी लगेगा और बाकी
चार्जेस लगेंगे म्यूचुअल फंड में यह काम जो टाइम टू टाइम अलाइन मेंट रि अलाइन मेंट और पोजिशनिंग जो करना होता है एस पर
द मार्केट डायनेमिक्स ये आपके बिहाव प पहले तो कोई और कर रहा होता है एक अच्छी बात ये है दूसरी बात जब वो कर रहा होता है
तो उसका आपके ना तो एसटीटी या जो है आपका शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन का कोई असर नहीं पड़ता है आपको क्योंकि म्यूचुअल फंड
में आपका टैक्स केवल तब देना होता है जब आप सेल कर रहे होते हो तो साल भर में चाहे वह कितने भी स्टॉक खरीद ले कितने भी बेच
ले आपके बेटर रिटर्न्स बनाने के लिए तो उसका आपके ऊपर कोई टैक्स लायबिलिटी नहीं पड़ेगा आपका लायबिलिटी केवल तब पड़ेगा
जब आपने उस इन्वेस्टमेंट को जो किया और तब बेचा तो इस टैक्स के मामले में भी म्यूचुअल फंड थोड़े से बेटर हो जाते हैं ओके
इन्वेस्टमेंट के लिए क्या सही है देखो इन्वेस्टमेंट के लिए अगर आपने इन्वेस्ट करना है तो दोनों ही सही है ऐसा कोई
दिक्कत नहीं है लेकिन कौन सा पैसा कहां लगाए वो इंपोर्टेंट है जहां तक हमारी क्योंकि मैं फौजी फ्रेटरनिटी से हो तो
फौजियों की बात करेंगे या उनकी बात करें जब हम या मिडिल क् की बात करें जो हमारे पास अगर गोल बेस ही पैसा है कि भाई मेरे
पास पैसा लिमिटेड है और मेरे कुछ फाइनेंसियल गोल है तो वो पैसा आपका इन्वेस्टमेंट म्यूचुअल फंड में ही पॉसिबल हैके जो
एक जैसे गोल बेस इन्वेस्टमेंट होता है जो इंपोर्टेंट होता है आपके इन्वेस्टमेंट से पहले तो गोल बेस इन्वेस्टमेंट का
सारा पैसा आप म्यूचुअल फंड में ही लगाओगे तो बेहतर रहोगे ओके अगर यह पैसा आपने किसी गोल का पैसा कि आपकी बेटी की शादी है
या बच्चे का एजुकेशन के लिए आपने पैसे इकट्ठे किए अगर वो आपने किसी स्टॉक में लगा दिए हालांकि स्टॉक क्या कितना भी
अच्छा हो लेकिन जरूरी नहीं है कि जिस टाइम प आपका वो गोल आ रहा है उस टाइम पर वह सेक्टर अच्छा चल रहा हो स्टॉक अच्छा चल
रहा हो उसमें डिपेंड डिपेंड रहना थोड़ा खतरनाक हो सकता है क्योंकि कभी-कभी ये देखा है कि पूरा पिछले 10 साल से तो वो
स्टॉक अच्छा चलता रहा लेकिन जब आपका पैसा निकालने की बात आई तो हो सकता है वह स्टॉक उतना अच्छा ना करे क्योंकि जैसे
पिछले कुछ दिन से मार्केट टर्बुलेटर थी तो कुछ कुछ स्टॉक्स 20-2 पर भी गिरे हैं बिल्कुल तो रिलायबल इन्वेस्टमेंट
म्यूचुअल फंड ही है और लोगों को लगता है कि म्यूचुअल फंड में रिटर्न्स नहीं बनते मैं एक एग्जांपल दूं जब हम कमीशन हुए
थे 1996 में एक स्कीम थी म्यूचुअल फंड की जो 0 पे लच हुई थी आज वो 50 के करीब है तो उसने 415 गुना रिटर्न्स दिए हैं अच्छा और
ज्यादातर म्यूचुअल फंड को आप देखोगे पिछले 20 साल के रिटर्न्स 20 पर से ज्यादा बहुत सारी स्कीम्स ने और वो रिटर्न्स कम
नहीं होते बिल्कुल लेकिन आप जब इन्वेस्ट करो तो एक रीजनेबल रिटर्न्स की एक्सपेक्टेशन रखें जो कि 15 15 पर एक अच्छा रिटर्न
आप एक्सपेक्ट कर सकते हैं मार्केट में ओके सर एक आर्मी ऑफिसर का सवाल है जैसे हमारी पोस्टिंग आ जाती है फील्ड एरिया में
और वहां पर नेटवर्क का भी इशू होता है तो ऐसी सिचुएशन में हमें किसम इन्वेस्ट करना चाहिए देखो स्पेशली जो ट्रांसफरेबल
जॉब है जब आप रिमोट एरिया में हो गए तो इश्यूज आती है कि ना आपको कम्युनिकेट कर पाते हो ना टाइमली मॉनिटर कर पाते हो तो
जब आपके पास मॉनिटर करने के लिए टाइम नहीं है दूसरा जब आपने एक्शन लेने के लिए कनेक्टिविटी नहीं है एंड पैसे भी लिमिटेड
ही होते हैं बिल्कुल तो ऐसे में एडवाइजेबल होगा तो आप म्यूचुअल फंड के थ्रू जाइए और म्यूचुअल फंड में भी ऐसा नहीं हो
सकता कि बाय एंड फॉरगेट कर लो क्योंकि टाइम टू टाइम म्यूचुअल फंड भी अलाइन रिलाइन करने पड़ते हैं अगर आपको अच्छे गेस
बनाने हैं तो वो मॉनिटर करने पड़ेंगे तो म्यूचुअल फंड में ही जाए स्टॉक से दूर रहिए ओके वैसे भी सेबी का डाटा बोलता है
कि जो 69 पर ऑफ रिटेल ट्रेडर्स हैं या इन्वेस्ट करते हैं स्टॉक्स में वो नुकसान उठा रहे हैं म्यूचुअल फंड में ऐसा नहीं है
तो म्यूचुअल फंड में जाइए और मेरा एडवाइस तो ये होगा किसी के थ्रू जाइए जो आपको एडवाइस कर सके जो आपको एक्सपर्ट गाइडेंस
दे सके टाइम टू टाइम आपका हैंड होल्डिंग भी कर सके क्योंकि जब आप देखोगे अपने नजरिए से देखोगे कोई जरूरी नहीं है बाजार
का या मार्केट का नजरिया वो हो तो आपको बेटर पर्सपेक्टिव दे सकता है आपका एक अच्छा फाइनेंशियल एडवाइजर आपका पैसा
ज्यादातर म्यूचुअल फंड में जाना चाहिए स्टॉक से दूर रहोगे तो बेटर रहेगा ओके सर थैंक यू सो मच सर अगर आपको यह हमारा
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