November 21, 2024
Finance Function | Functions Of Finance | Business Finance B.B.A B.COM |  Financial Decisions | 12
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Finance Function | Functions Of Finance | Business Finance B.B.A B.COM | Financial Decisions | 12 #Finance


अब हम अपना नया टॉपिक स्टार्ट करते हैं विच इस फाइनेंस फंक्शन तो पहले फाइनेंस फंक्शन की मीनिंग देखते हैं फिर उसके

बाद जितने भी टाइप्स ऑफ फाइनेंस फंक्शन है उसको स्टडी करेंगे मीनिंग इट इस वैन ऑफ डी में फंक्शन ऑफ अन बिजनेस

ऑर्गेनाइजेशन विच एम्स प्रोकरी एंड ज्यूडिशियल यूटिलाइजिंग डी फाइनेंशियल रिसोर्सेस विथ डी व्यू तू मैक्सिमम डी

वैल्यू ऑफ डी फॉर्म देखिए अन फाइनेंस फंक्शन क्या है फाइनेंस से रिलेटेड फंक्शन यहां परफॉर्म करना होता है बिजनेस

ऑर्गेनाइजेशन में किस तरह का फंक्शन परफॉर्म करना है जो भी फंड का अरेंजमेंट किया जा रहा है उसको ज्यूडिशियल उसे करना

इतना मतलब एक प्रॉपर वे में उसको उसे करने का जो फंक्शन है डेट इस फाइनेंस फंक्शन अब उसे करके हमको रिटर्न भी देना है

वैल्यू इंक्रीज करनी है हमारे इक्विटी शेयर होल्डर की और हमारे बिजनेस की आगे दिया हुआ है मैक्सिमम डी वैल्यू ऑफ डी

फॉर्म डियर बाय वैल्यू ऑफ डी ओनर जैसे ही फर्म की वैल्यू बढ़ेगी उसी तरह उसी के रिस्पेक्ट में ओनर की भी वैल्यू बढ़ेगी

वैल्यू ऑफ डी ऑनर्स ओनर की वैल्यू का मतलब है यहां इक्विटी शेयर होल्डर से जो ओनर होते हैं कंपनी के उनके शेयर्स की

वैल्यू भी बढ़ेगी सो दिस इस फाइनेंस फंक्शन इसी फंक्शन को जो परफॉर्म किया जाता है डेट इस फाइनेंस फंक्शन तो यहां पे

कुछ शब्द याद रखिएगा ज्यूडिशियल यूटिलाइजिंग फाइनेंशियल रिसोर्सेस का ज्यूडिशियल मतलब एक ऑप्टिमम वेव है उसका

यूटिलाइजेशन करना जिससे क्या रिजल्ट निकल कर आए की ऑनर्स जो इक्विटी शेयर होल्डर्स हैं उनकी वैल्यू इंक्रीज हो दिस इस

फाइनेंस फंक्शन इसको पूरा करने के लिए बहुत सारे फंक्शन परफॉर्म करने पड़ते हैं जिसमें फर्स्ट फंक्शन है आपका

इन्वेस्टमेंट डिसीजन फाइनेंसिंग डिसीजन दें डिविडेंड डिसीजन एंड वर्किंग कैपिटल डिसीजन यह चार तरह के डिसीजन लेने

पड़ते हैं फाइनेंस फंक्शन को पूरा करने के लिए तो चलिए चारों फंक्शन को डिटेल में देखते हैं इन्वेस्टमेंट डिसीजन हम

अपना बिजनेस जो फंड अरेंजमेंट करेंगे तो उसको कहां इन्वेस्ट करना है ये भी डिसीजन लेना होता है तो इन्वेस्ट करने के

पहले बहुत सारी कैलकुलेशन की जाती हैं कॉस्ट निकल जाती है कैपिटल बजट बनाया जाता है तो ये सारे फंक्शन जब एक साथ

कैलकुलेशन और एनालिसिस के बाद लिए जाते हैं इस तरह के डिसीजन को इन्वेस्टमेंट डिसीजन कहते हैं डाटा यहां दिया हुआ है

इन्वेस्टमेंट डिसीजन फंक्शन रिवॉल्वेस अराउंड कैपिटल बजटिंग डिसीजन अभी मैंने आपको बताया कैपिटल बजटिंग मतलब

कैपिटल एक्सपेंडिचर करना एसेट खरीदना एसेट ऐसे ही नहीं खरीदी जाती है वहां पर कैश का इनफ्लू कितना होगा उसका

कैलकुलेशन एडवांस में ही कर लिया जाता है फ्यूचर में कितने रिटर्न आएगा कैश इनफ्लो के फॉर्म में कितने टाइम पीरियड

लगेगा तो ये सारी कैलकुलेशन की जाती है ये जो आगे टॉपिक्स कवर करेंगे डिफरेंट डिफरेंट कॉस्ट ऑफ कैपिटल ये सारी

कैलकुलेशन भी हम आपको करके दिखाएंगे कैपिटल बजटिंग इस एन और इन उन ऑर्गेनाइजेशन इन वैसे डी एनालिसिस ऑफ इन्वेस्टमेंट

अपॉर्चुनिटी स्पेशल लॉन्ग टर्म प्रोजेक्ट एंड एसोसिएटेड कैश फ्लोज तू डिटरमिन डी प्रॉफिट पोटेंशियल यह सारी चीज

यहां जो लिखी गई हैं की कैपिटल बजटिंग की जाती है कैपिटल कोई भी इन्वेस्टमेंट डिसीजन लेने के पहले हम उसे डिसीजन का

एनालिसिस करते हैं की हम अगर यहां पे इन्वेस्ट करेंगे तो कितना रिटर्न आएगा इसको एनालिसिस करने के लिए डिफरेंट

डिफरेंट मैथर्ड हम उसे करते हैं जिसमें देखिए नीचे लिखा हुआ है हेस डीज डिसीजन आर चैलेंजिंग एंड परिसर पेबैक पीरियड

मेथड उसे करते हैं प्रेजेंट वैल्यू मेथड आईआर इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न प्रॉपर्टी इंडेक्स आर डी पॉप्युलर मैथर्ड तू कैरी

आउट कैपिटल बजटिंग तो कैपिटल बजटिंग डिसीजन लेने की पहली हम बहुत सारे मैथर्ड को उसे करके अपना डिसीजन को ऐसे एकदम exard

बनाने की कोशिश करते हैं फिर डिसीजन लेते हैं तो ये सारे मेथड को उसे करके हम कैलकुलेशन और एनालिसिस करते हैं अपने फंड

का जो हम इन्वेस्टमेंट करने जा रहे हैं की अर्जेंसी मेथड भी एक होता है की अर्जेंट वे में डिसीजन लिया जा सकता है वो भी

एक इन्वेस्टमेंट डिसीजन में कैपिटल बजटिंग मेक मेथड होता है इसमें पे मेरा पीरियड कितने टाइम में वह रिटर्न आएगा यह

सारे कुछ कैलकुलेशन करके एनालिसिस करके इन्वेस्टमेंट डिसीजन लिया जाता है विच इस वैन ऑफ डी फंक्शन ऑफ फाइनेंस फंक्शन

आते हैं सेकंड पे फाइनेंसिंग डिसीजन फाइनेंसिंग मतलब लोन का अरेंजमेंट करना बिजनेस के लिए देखते हैं एक्सपेक्टेशन

फार्मिंग फाइनेंसिंग डिसीजन नीड्स तू uptoise कैपिटल स्ट्रक्चर एंड हंस परफॉर्मेंस एंड ग्रोथ फाइनेंसिंग फंक्शन डील्स

विद रिक्वायरिंग कैपिटल लाइक व्हेन एंड हो फार डी वेरियस फंक्शनिंग ऑफ डी एंटी डी लाइक वेदर तू उसे इक्विटी और डेट तू

फाइनेंस बिजनेस एक्टिविटी डी डेट एंड इक्विटी मिक्स ऑफ एनटीटी इसे कॉल्ड कैपिटल स्ट्रक्चर डी फाइनेंसिंग डिसीजन

ऑलवेज फोकस ऑन मेंटेंनिंग गुड कैपिटल्स स्ट्रक्चर रेश्यो इन्वेस्टमेंट डिसीजन में असेट्स रिलेटेड बात हुई है

फाइनेंसिंग डिसीजन में कैपिटल से रिलेटेड बात होगी जो लेफ्ट हैंड साइड है हमारी बैलेंस शीट का जिसमें लायबिलिटी इसके

अंदर कैपिटल वाला पार्ट जो होता है डेट इस रिलेटेड तू फाइनेंसिंग डिसीजन राइट हैंड साइड एसेट वाला जो है डेट इस

रिलेटेड विद इन्वेस्टमेंट डिसीजन सो फाइनेंसिंग डिसीजन में हमें कैपिटल स्ट्रक्चर कैसे डिज़ाइन करना है उसके बारे

में स्टडी करना होगा कैपिटल स्ट्रक्चर इसे डी मिक्स ऑफ डेट एंड इक्विटी तो दोनों का मिक्सर किस तरह के फॉर्म में होगा

डिड ज्यादा होगा की इक्विटी कम होगी इक्विटी ज्यादा होगी डेट कम होगा इसका पूरा रेश्यो का कैलकुलेशन किया जाता है

एडवांस में फिर फाइनल डिसीजन लिया जाता है विच इस रिलेटेड विद फाइनेंसिंग डिसीजन तो यहां पे आपको ध्यान रखना है की

इक्विटी कैपिटल स्ट्रक्चर को यहां पे डिटेल में आपको समझाना होगा तो आप कैपिटल स्ट्रक्चर को समझा देंगे तो

फाइनेंसिंग डिसीजन ऑटोमेटिक क्लियर हो जाएगा यहां पर तो अन गुड कैपिटल विद डी हेल्प ऑफ फाइनेंसिंग डिसीजन नौ नेक्स्ट

इस डिविडेंड डिसीजन सी ऑल नो अबाउट डिविडेंड डिविडेंड मिंस डेट पार्ट ऑफ प्रॉफिट विच इस बीइंग डिसटीब्युटेड तू

इक्विटी शेयर होल्डर्स इक्विटी शेयर होल्डर्स को जो प्रॉफिट का हिस्सा डिस्ट्रीब्यूशन कर दिया जाता है डेट इस

डिवाइडेड कंपनी ने प्रॉफिट ऑन किया उसमें से शेयर होल्डर्स को प्रॉफिट का कुछ हिस्सा दिया गया सपोस फाइव रुपीस पर

शेयर डिविडेंड की तरह इशू किए गए प्रॉफिट का हिस्सा 5 पे और शेयर की तरह निकल दिए डेट इस डिविडेंड फ्रॉम डी पॉइंट ऑफ व्यू

ऑफ अपड शेयर होल्डर्स कंपनी के लिए वो प्रॉफिट है इक्विटी शेयर के लिए वो डिविडेंड वर्ड उसे कर लिया जाता है कंपनी शेयर

प्रॉफिट विद डियर शेयर होल्डर्स इन डी फॉर्म ऑफ डिविडेंड दे आर डिफरेंट टाइप्स ऑफ शेयर शेयर होल्डर्स डिफरेंट एंड

डिविडेंड पॉलिसी फॉर डी मोर अन कंपनी डिविडेंड पॉलिसी इन्फ्लुएंस डी कंपनी मार्केट वैल्यू स्टॉक प्राइस होते हैं वह

डिवाइड एक्सपेक्ट करते हैं डिवाइड कितना कंपनी दे रही है उसके बेसिस पे भी कंपनी में शेयर्स की वैल्यू में इंक्रीज

इंक्रीमेंट और डिक्रिमेंट होता है बढ़ भी जाते हैं घाट भी जाते हैं तो डिविडेंड डिसीजन भी ध्यान से लेना पड़ता है की

अगर कोई कोई कंपनी होती है नो डिविडेंड पॉलिसी फॉलो करती है जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले नो इवेंट पॉलिसी फॉलो करती

थी तो डिविडेंड पॉलिसी भी हमें ध्यान से देखकर डिसीजन इंक्लूडिंग डी डिवीज़न ऑफ नेट इनकम बिटवीन डिविडेंड एंड रिटेन

इन इस एन इंपॉर्टेंट फंक्शन अब प्रॉफिट हुआ कंपनी का प्रॉफिट का जो हिस्सा डिविडेंड की तरह डिस्ट्रीब्यूशन कर दिया

गया है वो अलग एग्जांपल यहां लेते हैं उसे कंपनी ने 50000 प्रॉफिट ऑन किया है अब कंपनी क्या कर सकती है उसको ये जो प्रॉफिट

हुआ कंपनी का इस प्रॉफिट में से कुछ हिस्सा डिविडेंड की तरह दे दे कुछ हिस्सा रिटेन कर ले जिसको हम रिटेन लर्निंग कहते

हैं रिटेन अर्निंग तो कंपनी को जब डिसीजन लेना होगा डिविडेंड डिसीजन तो वो इस 5 करोड़ में से कितना डिविडेंड की तरह

देना चाह रही है इससे रिलेटेड डिसीजन लेना पड़ेगा किसको मिलेगा ये इक्विटी शेयर्स को सो दिस डिस्ट इसे डिविडेंड

डिसीजन अब डिविडेंड डिसीजन लेने के साथ-साथ retainings का भी ध्यान रखना पड़ता है की कितना पैसा हमें से करके चलना है और आप

फ्यूचर इन्वेस्टमेंट और डिफरेंट टाइप्स ऑफ डिसीजन विच सी आर गोइंग तू टेक इन फ्यूचर सो दिस इस योर डिविडेंड डिसीजन और

नेक्स्ट लास्ट हमारा है लिक्विडिटी डिसीजन जो वर्किंग कैपिटल से रिलेटेड होता है मतलब दी तू दी बिजनेस एक्टिविटीज

चलती रहे उससे रिलेटेड भी डिसीजन लेना पड़ता है फाइनेंस फंक्शन में क्या होता है मतलब एक तरह से वर्किंग कैपिटल

मेंटेन रहे मतलब डेली की एक्सपेंसेस होते होने के लिए खर्चे होने के लिए उतना फाइनेंस का अरेंजमेंट पहले से हो दिस इस

वर्किंग कैपिटल डिसीजन लिक्विडिटी डिसीजन जनरली रिवर्स अराउंड वर्किंग कैपिटल डिसीजन एंड मैनेजमेंट देयर फॉर डी

प्रायोरिटी इन अन मैनेजिंग करंट असेट्स तू फॉलो डी गोइंग कंसर्न कॉन्सेप्ट लाख ऑफ लिक्विडिटी रिजल्ट्स इन इश्यूज

लाइक फाइनेंशियल क्राइसिस एंड सॉल्व इन सी आते डी से टाइम ए लॉट ऑफ लिक्विडिटी कैन अलसो लीड तू मोर इंजन एंड इट इस

इंपॉर्टेंट तू हैव डी राइट मिक्स ऑफ करंट एसेट एंड करंट लायबिलिटी वर्किंग कैपिटल डिसीजन करंट एसेट और करंट

लायबिलिटी से रिलेटेड होता है जिसमें हमें कैश के फॉर्म में लिक्विड फॉर्म में कैश को अरेंज करना पड़ता है जिससे

वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट होती है वर्किंग कैपिटल मैनेजमेंट का यहां मतलब है की दे टुडे बिजनेस एक्टिविटी को रन करने

के लिए फाइनेंस की रिटायरमेंट उसी तरह करंट लायबिलिटी का भी ध्यान रखना रहता है की कितनी करंट ऑब्लिगेशंस हमारे सामने

आने वाली है हो सकता है शॉर्ट टर्म लोन लिए हो तो उसका भी रिप्रेजेंट करना है तो उसके लिए फाइनेंस का अरेंजमेंट पहले से

होना चाहिए दिस इस वर्किंग कैपिटल डिसीजन सो ये तो हो गए हमारे सारे फाइनेंस

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