December 5, 2024
India Rejects COP29 Climate Finance Deal | Reason Behind the Heated Global Debate? | World Affairs
 #Finance

India Rejects COP29 Climate Finance Deal | Reason Behind the Heated Global Debate? | World Affairs #Finance


सोचो कि आपसे यह बोला जाए कि देखो तरक्की हम करेंगे नुकसान आपको भी उठाना पड़ेगा पर जब आप तरक्की करने की कोशिश

करोगे तो बोला जाए कि नहीं नहीं आप नहीं कर सकते क्योंकि हम नुकसान नहीं उठाना चाहते यही स्थिति है इंडिया की और बहुत

सारी डेवलपिंग कंट्रीज की जो क्लाइमेट चेंज के वजह से जो चैलेंज आ रहे हैं उनसे सफर तो कर रहे हैं लेकिन उनको कोई

सपोर्ट नहीं मिल रहा उन हाई इनकम डेवलप नेशन से जो एक्चुअली में रिस्पांसिबल है क्लाइमेट चेंज के लिए कॉप 29 का मेजर

एजेंडा था कि वो एक एग्रीमेंट पे आ सके कि कितना पैसा जरूरी है कितना फाइनेंस जरूरी है इस क्लाइमेट चेंज की प्रॉब्लम को

टैकल करने के लिए अब आप हेडलाइन से कंफ्यूज मत होएगा कि अमाउंट ट्रिपल हुआ है क्योंकि जो अमाउंट था वो 100 बिलियन डॉलर था

जो अब 00 बिलियन डॉल हो गया है और जो अमाउंट रिक्वायर्ड है वो है ट्रिलियन डॉलर्स पर ईयर तो ये 14/4 भी नहीं है उस अमाउंट का

जो एक्चुअली में नेसेसरी है आज क्लाइमेट चेंज की प्रॉब्लम को टैकल करने के लिए अब इसी वजह से क्योंकि ये हाई इनकम डेवलप

नेशंस ने एक एग्रीमेंट फोर्स कर दी है डेवलपिंग नेशंस पर और उन्होंने बिल्कुल अकाउंट में नहीं लिया कि एक्चुअल अमाउंट

जिसकी उम्मीद रखी थी इन डेवलपिंग कंट्रीज में वो न ट्रिलियन डॉलर्स पर ईयर की थी और यह एक आर्बिट्रेरी अमाउंट नहीं है

इकोनॉमिस्ट ने बहुत स्टडी करके इस अमाउंट को फाइनलाइज किया है इनफैक्ट इकोनॉमिस्ट का कहना है कि 2.4 ट्रिलियन डॉलर अ र

की एक्चुअली नेसेसिटी है और 1.3 ट्रिलियन डॉलर ही डिमांड किए गए थे और उनकी उम्मीद इतने अमाउंट की उम्मीद रखी गई थी लेकिन

जो अमाउंट फाइनली अग्री हुआ है वो है 300 बिलियन डॉलर ओबवियसली इंडिया बहुत ज्यादा एंग्री है इंडिया की नेगोशिएटर

चांदनी रैना ने तो यह भी बोला है कि यह एक मेयर ऑप्टिकल इल्यूजन है इससे कोई इंपैक्ट नहीं होने वाला इससे कोई हेल्प

नहीं होने वाली और एक बहुत ही एंग्री स्टेटमेंट दिया है में प्रॉब्लम यह है कि स्टेटमेंट आया है वोट होने के बाद और ऐसा

भी कहा जा रहा है कि डेवलप कंट्रीज ने एक्चुअली मैनेज किया है इस वोट को और जल्दी जल्दी बिना किसी को बोले दिए जाने के

वोट करा दिया ताकि कोई अपने काउंटर पॉइंट्स पुट अप ना कर सके कॉन्फ्रेंस में अब आपको लग रहा होगा कि क्या ये न ट्रिलियन

डॉलर अ ईयर का अमाउंट बहुत बड़ा है तो मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि ये 1 पर है ग्लोबल जीडीपी का और यह एक साल का प्योर

प्रॉफ फिट है ऑयल एंड गैस इंडस्ट्रीज का क्या हम इतने बड़े ग्लोबल चैलेंज इतनी बड़ी क्राइसिस जिसके वजह से शायद कुछ

सालों बाद हम लोग रहे भी ना ये सारी चीजें डिस्कस करने के लिए क्या हम उसको अपने ग्लोबल जीडीपी का 1 पर भी नहीं दे सकते एक

और क्वेश्चन जो आपके दिमाग में आ रहा होगा वो यह है कि क्यों सिर्फ हाई इनकम डेवलप्ड कंट्रीज को ही ज्यादा अमाउंट प्लेज

करना है ये क्या कोई चैरिटी चल रही है तो ये कोई चैरिटी नहीं चल रही ये क्लाइमेट जस्टिस चल रहा है इंडस्ट्रियल

रेवोल्यूशन के बाद सबसे ज्यादा लाभ उठाया है इकोनॉमिकली इन हाई इनकम कंट्रीज ने और हिस्टोरिकल इनकी वजह से ज्यादा

डैमेज हुआ एनवायरमेंट को डेवलपिंग कंट्रीज को तो अब चांस मिला है ना डेवलप होने का तो उनके एमिशंस अब बड़े हैं इन

कंट्रीज के हिस्टॉरिकली एमिशंस बहुत ज्यादा बड़े हैं और अनचेक्ड बड़े हैं क्योंकि उस टाइम पे कोई बोलने वाला नहीं था

समझाने वाला नहीं था अब जब साइंटिस्ट को पता चला कि इन कार्बन एमिशंस का इंपैक्ट क्या हो रहा है हमारे दुनिया में उसके

बाद से अब डेवलपिंग कंट्रीज को अपने मिशंस पर कर्व लगाना चाहिए भी और पड़ेगा भी बिकॉज और कोई ऑप्शन नहीं है लेकिन इस

चीज को जस्ट बनाने के लिए उनको हाई इनकम कंट्री से हेल्प की जरूरत है ताकि वो भी डिवेलप हो सके उनके पास भी दूसरे टाइप की

टेक्नोलॉजीज आ सके जो उनको डिवेलप होने में हेल्प करेंगे जो इतनी पोल्यूटिंग नहीं है नाउ इंडिया ने तो ओपनली बोल दिया

है कि वो बिल्कुल डिसएग्री करते हैं इस एग्रीमेंट से लेकिन अनफॉर्चूनेटली एग्रीमेंट अब इफोर्स हो चुका है और अनलेस यह

अमेंड होता है आगे जाके आगे वाली कॉन्फ्रेंसेस में तो यह स्टैंड करेगा और यह भी नोट करने वाली बात है कि जो 300 बिलियन

डॉलर अ ईयर भी है वो भी 2035 से एनफोर्सेबल होगा 2035 के बाद आएगा और यह भी नोट करने वाली बात है कि जो 100 बिलियन पर ईयर का प्लेज

था वो भी पूरा नहीं कर पाए कंट्रीज तो कहां 100 बिलियन और कहां हमें 1.3 ट्रिलियन की जरूरत है क्लाइमेट चेंज के क्राइसिस को

बीट करने के लिए अब आप यह बोलोगे कि क्या यह बायस व्यू है कि ये जो हाई इनकम कंट्रीज हैं उन्हीं को ज्यादा पैसा देना

पड़ेगा तो ये यूनिवर्सलीस नेशंस खुद बोलता है कि हिस्टोरिक इन कंट्रीज ने ज्यादा डैमेज किया है इसीलिए इनको अब के

वर्ल्ड ऑर्डर को जस्ट बनाने के लिए हेल्प करना पड़ेगा डेवलपिंग कंट्रीज को ताकि वह अपनी डेवलपमेंट भी ना रोके और साथ

में हमारा प्लानेट भी सफर ना करें अब यह पैसा कहां से आएगा बहुत लोग यह भी क्वेश्चन करते हैं कि क्या यह पब्लिक टैक्स

मनी आएगी उन कंट्रीज में से और इस बात से भी कुछ लोगों को प्रॉब्लम होती है तो जरूरी नहीं है किय पब्लिक टैक्स मनी हो

बहुत सारा पैसा वर्ल्ड बैंक से आ सकता है इंटरनेशनल मोनेटरी फंड से आ सकता है टैक्सेस लग सकते हैं ऐसी इंडस्ट्रीज में

जो बहुत ज्यादा पोल्यूटिंग है उन टैक्सेस से पैसा आ सकता है अ 2 पर टैक्स ऑन वेरी वेल्थी बिलियनर्स पर भी लग सकता है

क्योंकि ये बिलियनर्स और उनकी कॉरपोरेशंस ही रिस्पांसिबल है मैक्सिमम पोल्यूशन करने के लिए नाउ प्रेजेंट दुनिया में

क्या हम अभी भी बोल सकते हैं कि ये हाई इनकम कंट्रीज ज्यादा पोल्यूटर रही है तो दैट इज नॉट ट्रू हमारा मेजर पोल्यूटर

वर्ल्ड ओवर चाइना है 30 पर उसके बाद आता है यूनाइटेड स्टेट्स जो एक हा इनकम डेवलप कंट्री है जो 15 अराउंड 15 एमिशंस के लिए

रिस्पांसिबल है और इंडिया अराउंड 7 पर एमिशंस के लिए रिस्पांसिबल है तो ये अभी के फिगर्स ऑब् वियस डिफरेंट हैं और ये भी

कहा जाता है कि जो पेट्रो स्टेट्स है सऊदी अरेबिया यूएई या फिर जो अ चाइना या साउथ कोरिया जैसी कंट्रीज हैं जो अब काफी

डिवेलप हो गई है क्या उनको भी रिस्पांसिबल नहीं ठहराना चाहिए क्या उनका भी इनपुट नहीं बढ़ाना चाहिए तो ये डिबेट्स

चलती रहती है ओबवियसली उनका भी इनपुट बढ़ना चाहिए एंड सबने पैरिस एग्रीमेंट में सारी कंट्रीज ने डिसाइड किया है कि

उनके एमिशंस कितने कट होंगे कितने कट होने चाहिए उन्होंने अपने एस्टिमेट्स दिए हैं देते आते हैं हर साल और हर साल उनको

अपने एस्टिमेट्स और कम करने होते हैं क्योंकि पैरिस एग्रीमेंट में यह डिसाइड हुआ था कि 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम हमें

अपनी ग्लोबल वार्मिंग रखनी है बाय द एंड ऑफ द सेंचुरी क्योंकि 1.5 डि सेल्सियस से जैसे ही ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी तब

तबाही मचने वाली है इवन इन दिस 1.5 डिग्री सेल्सियस फिगर अ काफी हाम होने वाला है क्लाइमेट चेंज का इंपैक्ट हम अभी भी देख

सकते हैं हमारे आसपास ये जो दुबई में फ्लड्स आए हैं जो यूरोप में अ इतना हीट वेव आई है इनफैक्ट हमारा जो दिल्ली का

पोल्यूशन भी है एंड इन जनरल जो बहुत एरेटिक क्लाइमेट चेंजेज हमें देखने को मिले हैं वर्ल्ड ओवर ये सारा बहुत रियल

इंपैक्ट है क्लाइमेट चेंज का आई एम श्यर अभी ज्यादा कोई डाउटर्स नहीं होंगे क्लाइमेट चेंज के साइंटिफिकली तो प्रूवन

हो ही चुका है क्योंकि एक दौर ऐसा भी था जब लोग सोचते थे कि क्लाइमेट चेंज वगैरह एक हुक्स है या एक झूठ है झूठ नहीं है हम

अपनी आंखों से इंपैक्ट देख सकते हैं महसूस कर सकते हैं अपने आसपास हर साल हॉटेस्ट ईयर बन जाता है सो क्लाइमेट चेंज इज

वेरी रियल इट इज हैपनिंग एंड कंट्रीज नीड टू स्टेप अप और सब अपने ग्लोबल एमिशंस कम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन आपको

ये समझना पड़ेगा कि एमिशंस कम करने के लिए हमें कैपिटल की जरूरत है टेक्नोलॉजी की जरूरत है और हाई इनकम डेवलप कंट्रीज

के पास ये कैपिटल ये कैपिटल ये टेक्नोलॉजी ज्यादा है और वो अगर मॉनिटरिली हेल्प कर सकती है दूसरी डेवलपिंग कंट्रीज को

ताकि वो भी ये टेक्नोलॉजीज अडॉप्ट कर सके देन ओबवियसली यह पूरी दुनिया के लिए ही एक अच्छी बात है बिकॉज क्लाइमेट चेंज

तो एट द एंड ऑफ द डे डिस्क्रिमिनेट नहीं करेगा कि आप एक डेवलप कंट्री हो कि डेवलपिंग कंट्री हो क्लाइमेट चेंज होगा

दुनिया भर में होगा और सबको इंपैक्ट करे कुछ लोगों को लगता है कि वो अपनी नेटवर्थ की वजह से बच सकते हैं पर वो भी कितने

टाइम तक बचेंगे पॉइंट के बाद दुनिया ही खत्म होगी तो क्या करेंगे वो अपने बंकर में बैठ के लेकिन वो भी एक बहुत दूर की फार

फेच्ड बात है अभी करेंटली हम देखें तो ये 2022 के एस्टिमेट्स है सीएनएन के एस्टिमेट्स है तो आप देख सकते हो कि चाइना सबसे

मेजर पोल्यूटर है दुनिया का वो मैं आपको बता भी चुकी हूं फॉलो बाय यूनाइटेड स्टेट्स एंड देन इंडिया लेकिन इसमें भी

बहुत इंपॉर्टेंट बात है नोट करने वाली कि अगर हम लोग इनकी पॉपुलेशन ले कंसीडरेशन में और हम पर कैपिटा निकाले कि कौन सी

कंट्री कितना ज्यादा पर कैपिटा पोल्यूटर है तो आप एकदम से एक ड्रास्ट्रिंग देख सकते हो और हमारा इंडिया अब नजर भी नहीं

आ रहा ये रहा हमारा इंडिया इतनी डेंसली पॉपुलेशन इसका मतलब कि हम जितना पोल्यूटर सकते हैं हम जितनी क्षमता रखते हैं

पोल्यूटर की हमारे पॉपुलेशन के हिसाब से हम उतना पोल्यूटर रहे हैं इनफैक्ट अमेरिकंस द यूनाइटेड स्टेट्स इज वन ऑफ द

बिगेस्ट पोल्यूटर्स स्टिल इन द वर्ल्ड सो इट इज दैट मच मोर डिसपिटर पैसे प्लेज नहीं किए और ये एग्रीमेंट 300 बिलियन डॉलर

पर ईयर पे साइन हो गई जो भी थोड़ा वो ही रहता है डावाडोल ही रहता है कि 300 बिलियन भी आएंगे कि नहीं आएंगे सो इट्स अबाउट

टाइमट द वर्ल्ड स्पेशली द डेवलप वर्ल्ड स्टार्टस टेकिंग क्लाइमेट चेंज सीरियसली बिकॉज इट इज रियली नॉट अ जोक

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24 thoughts on “India Rejects COP29 Climate Finance Deal | Reason Behind the Heated Global Debate? | World Affairs #Finance

  1. Yeah, India should reject that money, instead india should pay 4 times of that amount to the industrial countries due to no progress in curbing the grow of their population. Shame on you India, how dare you,
    Before you ask, this is not irony.

  2. Great explanation mam…. You should upload daily….. The thing is that india has controlled pollution in North East, lower South, hilly areas but haven't controlled it in lower northern etc regions and we haven't switched to green energy much so there is a problem

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