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फाइनेंस के फर्स्ट यूनिट का सेकंड और थर्ड टॉपिक पढ़ने वाले हैं इसमें हम फंक्शंस और रोज को बढ़ेंगे अब हम सबसे पहले
अगर समझे की कॉरपोरेट फाइनेंस क्या होता है कॉरपोरेट फाइनेंस मतलब जब कंपनी जब बैंक्स हो गए या फिर कोई भी एफएमसीजी
सेक्टर का हो गया कोई भी बिजनेस हो गया जब वह अपने कंपनी के लिए फाइनेंस रेज करने जाता है तो उसको बोलते हैं कॉरपोरेट या
फिर बैंक्स या फिर एनबीएफसी जब किसी बिजनेस को लोन देती है तो उसको बोलते हैं कॉरपोरेट फाइनेंस अब जो कंपनी का
फाइनेंसिंग होती है वो अलग-अलग तरीके से हो शक्ति है चाहे तो वो डेट के फॉर्म में ले सकते हैं बंद के फॉर्म में ले सकते
हैं शेयर्स के फॉर्म में ले सकते हैं सो देवर आर डिफरेंट पेटर्न्स ऑफ फाइनेंस बट आप उनका मीनिंग स्वामी होता है और सबका
फंडामेंटल सभी से होते हैं की आपको कंपनी के कंपनी को किसी तरीके से पैसे देना है अब हो सकता है की आपको उसके बदले कुछ
इंटरेस्ट मिले हो सकता है की आपको उसके उसमें शेरहोल्डिंग मिले नेक्स्ट अब उसके ना दो तरीके होते हैं जो कॉरपोरेट
फाइनेंस होते हैं वो दो तरीके से होते हैं एक पब्लिक कॉरपोरेट फाइनेंस होता है और एक प्राइवेट कॉरपोरेट फाइनेंस होता
है कंपनी कोई भी हो चाहे वो गवर्नमेंट हो चाहे वो प्राइवेट एंटी ऑन हो दोनों को ही पैसे की जरूर होती है बिकॉज़ कोई भी
बिजनेस बिना पैसों के नहीं चल सकता सो दोनों को ही अलग-अलग तरीके से पैसों को जरूर पद शक्ति है पर एग्जांपल जैसे की आप
अगर आप शेर मार्केट में इक्विटी मार्केट में अगर आप बैंक और शेर करते हैं तो आप वहां पे शेयर्स है ना गवर्नमेंट एंटिटीज
के भी देखेंगे और प्राइवेट एनटीटी इसके भी देखेंगे पर एग्जांपल जैसे लिक है अभी है ना पब्लिक से पब्लिक सेक्टर के अंदर
ऑन किया है लिक को लिक को लिस्ट किया है तो लिक एन पब्लिक अकाउंट कंपनी जिसके उन्होंने फाइनेंसिंग के लिए बेसिकली उनको
प्राइवेटाइजेशन करना था कुछ डर प्राइवेटाइज करने थे और उनको फाइनेंस की फाइनेंसिंग की जरूर ही पैसे की जरूर थी तो
पैसे लैंड करने दो उसके लिए उन्होंने उसे कंपनी को लिस्ट कर दिया सिमिलरली अगर हम टाटा मोटर को देखें अगर हम रिलायंस को
देखें अगर हम अदानी को देखें तो ये प्राइवेट सेक्टर कंपनी है जो की फाइनेंसिंग के लिए अपनी कंपनी को लिस्ट कर के बैठे
हैं सिमिलरली अगर किसी कंपनी को पैसे की जरूर होती है अगर उनको डेट की जरूर होती है तो पब्लिक सेक्टर पब्लिक सेक्टर जो
कंपनी है वो भी जा सकते हैं गवर्नमेंट के पास पैसे लेने के लिए चाहे वो सेंट्रल गवर्नमेंट के लिए जैन मतलब डायरेक्टली
हो चाहे तो पब्लिक सेक्टर बैंक से ले सकते हैं या फिर प्राइवेट सेक्टर बैंक से ले सकते हैं सिमिलरली जो प्राइवेट
प्लेयर्स होते हैं पर एग्जांपल अगर अदानी को जरूर है तो वो भी बैंक से जा के पैसे लोन के फॉर्म में ले सकता है अब इनके
फंक्शंस क्या राहत है जो आप पैसा मार्केट से ले रहे हो चाहे वो गवर्नमेंट से पैसा लो चाहे वो बैंक से पैसा लो चाहे
एनबीएफसी से पैसा लो चाहे आपको इन्वेस्टर के सर का पैसा लो अब जी भी तरीके से आप फाइनेंस को रेस कर रहे हो उसके में तीन
फंक्शंस होते हैं सबसे पहले कैपिटल बजट है जब भी आप अपने बिजनेस को स्टार्ट कर रहे हो तो आपको बजट करना बहुत जरूरी है
आपने आने वाले टाइम को फोरकास्ट करना जरूरी है की जब आपने बिजनेस को रन करोगे तो उसके लिए आपको किस-किस चीजों की जरूर
पड़ेगी सबसे पहले आप उसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के ऊपर इन्वेस्ट करोगे उसके बाद फिर आप अपना मशीन और इक्विपमेंट्स के ऊपर
इन्वेस्ट करोगे उसके ऊपर आप रा मैटेरियल्स के ऊपर मार्केटिंग के ऊपर ह्यूमन रिसोर्स के ऊपर आप इन्वेस्ट करोगे सो ये
आज सब ए जाएगा आपका कैपिटल बजटिंग के अंदर नेक्स्ट आता है रीजनिंग फंडिंग थ्रू डेड अब आप है ना चाहे तो लोन के फॉर्म में
डेट ले सकते हो तो अब कोई भी बिजनेस करने से पहले जनरली आपको एक रेशों बनाए थे इक्विटी तू डेट रेश्यो क्या खुद का पैसा
कितना लगा रहे हो और लोन के फॉर्म में कितना पैसा ले रहे हो जनरली आप अपनी कंपनी के ऊपर रेस्ट फैक्टर कम करने के लिए आप
डेट से पैसा ले लेते हो पर एग्जांपल आपको अगर एक करोड़ का बिजनेस स्टार्ट करना है और आपके पास में एक करोड़ रुपए हैं
आपके पास में लेकिन आपको कंपलीटली पूरा पैसा बिजनेस मैंने लगा सकते बिकॉज़ अनसर्टेन है बिजनेस हो सकता है की आगे की वो
बिजनेस नहीं चले तो आपको और ज्यादा पैसा इन्फोस करना पड़े इसलिए आप क्या करते हो ₹1 करोड़ में से हो सकता है 50 लाख 60 लाख
खड़का लगाओ और बाकी आप 30-40 लाख आप दादा के फॉर्म में लोन ले सकते हो और उसको धीरे-धीरे रिपे करते रहोगे इससे क्या होगा एक
तो आपको लोन ए जाएगा तो आपका पास जो इनिशियल है 30-40 लेग्स से वो आप खुद के बाद से कर पाओगे आगे जाके अगर आपको एक्सपेंड करना
है डायवर्सिफाई करना है तो उसमें आप अपने वो रिमेनिंग मनी को लगा सकते हो और नेक्स्ट है शॉर्ट टर्म फाइनेंस बिजनेस में
ऐसा बहुत बार होता है की आपके पास है ना शॉर्ट टर्म फाइनेंसिंग खत्म हो जाति है जो वर्किंग कैपिटल है उसके लिए आपके पास
पैसा नहीं बचत है तो दे तू दे एक्सपेंड के लिए आप दे तू दे बेसिस पे वहां पे लोन ले सकते हो बहुत ही शॉर्ट टर्म के लिए लोन
लिया जाता है आप एक दिन के लिए भी ले सकते हो आप एक हफ्ता एक महीने के लिए भी लोन ले सकते हो जनरली बैंक्स होता है जो
बैंक्स के पास में पैसा कम हो जाता है तो वो आरबीआई इसे लोन ले लेते हैं डेट इस शॉर्ट टर्म फाइनेंस कमिंग ऑन तू डी
नेक्स्ट टॉपिक डेट इस रोल ऑफ फाइनेंस तो बेसिकली जो अगर हम इसको ब्रेड कैटिगरी में डिवाइड करें तो में दो रोल हो जाते
हैं फाइनेंसिंग के एक तो प्रॉफिट मैक्सीमाइजेशन और दूसरा वेल्थ मैक्सीमाइजेशन प्रॉफिट मैक्सीमाइजेशन मतलब किसी भी
हम कंपनी की बात करें जनरल जो पब्लिक सेक्टर कंपनी होती है उनका में ऑब्जेक्ट होता है वेलफेयर ऑफ डी सोसाइटी बट जो
प्राइवेट डोंट कंपनी होती है उनका में ऑब्जेक्ट होता है प्रॉफिट मैक्सीमाइजेशन वो अपने कंपनी का प्रॉफिट मैक्सिमाइज
करना चाहती हैं तो उसके लिए वो क्या करते हैं फाइनेंसिंग को लेते हैं अब बहुत बेसिक सी बात है जितना ज्यादा बिजनेस है
पैसा लगाओगे उतने से ज्यादा चांसेस रहेंगे की आप उससे ऑन भी कर पाव जैसे की हमने अदानी के कैसे में देखा था की अदानी
इन्हें कंटीन्यूअस लोन लेते क्या लोन लेते क्या और आज अगर हम उनकी डेट बुक देखेंगे चाहे वो उनका अदानी पोर्ट्स हो चाहे
उनका अदानी रेल सोचा है उनका अदानी केमिकल्स हो किसी भी अदानी के अगर हम फॉर्म्स में जाएंगे तो उसमें है ना दादा का
पोर्शन बहुत ज्यादा है उन्होंने फाइनेंस बहुत ज्यादा लेकर रखा हुआ है और क्यों लेकर रखा है बिकॉज़ उनको अपना प्रॉफिट
मैक्स करना है उनको अपने कंपनी में अर्निंग को इंक्रीज करना है तो उसके लिए वो ज्यादा से ज्यादा पैसे को इन्फ्यूज कर
रहे थे अपने बिजनेस को एक्सपेंड करने की कोशिश कर रहे थे और नेक्स्ट एल्स वेल्थ मैक्सिमाइज़ेशन वेल्थ में एक्सरसाइज
तब होता है जब आप अपने शेरहोल्डर्स की मनी को इंक्रीज करना चाहते हो मां लीजिए आज मैंने टाटा मोटर का स्टॉक खरीदा है ₹520
में अब जो ₹520 का मैंने स्टॉक खरीदा है अब मैं चाहूंगा की वो मंथली क्वार्टरली अर्ली बेसिस पे वो मुझे कुछ इंटरेस्ट
जेनरेट करके मुझे वो अपनी वैल्यू को इंक्रीज करके दे तो जनरली कंपनी से करती हैं अपने शेरहोल्डर्स के वेल्थ
मैक्सिमाइज करने के लिए अब ऑब्वियस सी बात है अगर आपकी कंपनी ऑन नहीं करेगी तो क्या उसकी वेल्थ इंक्रीज होगी नहीं अगर
आपकी वेल्थ इंक्रीज नहीं होगी तो आपके शेर होल्डर की भी बेल्ट इंक्रीज नहीं होगी तो अगर आप अपने शेरहोल्डर्स के इनकम
को इंक्रीज करना चाहते हो तो आप अगेन आप फाइनेंसिंग लेते हो आप चाहे तो और इन्वेस्टर से पैसे ले सकते हो चाहे तो आप बैंक
से पैसे ले सकते हो चाहे आप इंजन इन्वेस्टर से पैसा ले सकते हो तो उससे क्या होता है आपके टोटल आपके कंपनी की वैल्यूएशन
इंक्रीस हो जाति है जब वो कंपनी की वैल्यू इंक्रीज होती है तो इंडी वह पैसा आपके शेरहोल्डर्स के पास भी जाता है और हंस
डेट इंक्रीस डी वेल्थ ऑफ योर शेर होल्डर जैसे की अगेन अदानी ने किया था जो भी हिडेनबर्ग की रिपोर्ट आई थी उसमें भी
क्लीयरली ये स्टेटेड था की जो अदानी ने कंटीन्यूअस जो हमने देखा था की पिछले एक साल में अदानी टॉप थ्री रिचेस्ट परसों
में ए गया था और जो उनके शहर में थे उनकी भी इसी तरीके से इकोनामी बधाई थी तो क्यों बाढ़ पी थी बिकॉज़ उन्होंने फाइनेंस
बहुत ज्यादा लिया था उन्होंने अपनी कंपनी की वैल्यूएशन को बढ़ाने के लिए उन्होंने प्रॉफिट मैक्सिमाइज नहीं किया था
उन्होंने अपना वेल्थ को वैल्यूएशन को इंक्रीस किया था नेक्स्ट इस फंक्शंस ऑफ फाइनेंसिंग सबसे पहले इन्वेस्टमेंट
डिसीजंस अब आप पैसा क्यों लेना चाहते हो मार्केट से तो उसके क्या बेसिक ऑब्जेक्ट्स हो सकते हैं जैसे की आपको अपना
कंपनी में कुछ नया सेट खरीदना है कोई नई इक्विपमेंट खरीदना है कोई नया ऐसेट खरीदना है कोई नई फैक्ट्री लगानी है आपको एक
नई मार्केटिंग टीम हायर करनी है मार्केटिंग के पास ज्यादा पैसा खर्च करना है दे तू दे वर्किंग कैपिटल में आपको जरूर है
तो आपको कहां पे इन्वेस्ट करना है उसके लिए आप फाइनेंस ले सकते हो नेक्स्ट इसी तरीके से इन्वेस्टमेंट आप कहां करने
वाले हो और दूसरा किसको फाइनेंस करने वाले हो किस पर्टिकुलर प्रोडक्ट को फाइनेंस करने वाले हो जैसे की अगर आप कहानी पे
जनरली जवाब लैंड खरीदने हो अपने फैक्ट्री के लिए तो अब लैंड ऑफिस की बहुत महंगा आता है एक कार्ड में लैंड खरीदने हो तो
वो जब महंगा आने वाला है तो अपने एसिड को आप फाइनेंस कर लेते हो आप मशीनरी करने वालों को करोड़ की मशीनस आई है तो उसको भी
आप फाइनेंस कर सकते हो आप लॉजिस्टिक्स के लिए पैसा खर्च करो तो उसमें आपको फाइनेंसिंग की जरूर पद शक्ति है और डी लास्ट
इसे डिविडेंड डिसीजंस अब जैसे हम शेर वैसे मैक्सीमाइजेशन की बात कर रहे थे मां लीजिए जैसे मैंने अभी टाटा मोटर में
इन्वेस्ट किया है ₹520 में 1 साल बाद जो टाटा मोटर है उसने ₹1 लाख करोड़ का प्रॉफिट ऑन किया है तो वो ₹1 लाख प्रॉफिट का क्या
करेगा हो सकता है की वो इस इस पैसे को कहानी पे इन्वेस्ट कर दे अपने शेरहोल्डर्स को पैसे ना बांट के अपनी कंपनी में वो
इन्वेस्ट कर सकता है एक नया वेंचर स्टार्ट कर सकता है या किसी ना किसी तरीके से अपनी कंपनी को डाइवर्सिटी पे एक्सपेंड
कर सकता है बट उसको अगर डिविडेंड देना है जो डेली ईयरली जो अगर मीटिंग्स होती है उसमें डिसाइड होता है की आपको अपने
शेरहोल्डर्स को डिविडेंड देना है या फिर अपने प्रॉफिट को अपने वापस से कंपनी में रिइन्वेस्ट करना है अगर डिविडेंड के
फॉर्म में अगर आपको पैसा देना है तो आपको किस इंटरेस्ट रेट पे देना है क्या फेस वैल्यू रहेगी उसकी उसका आपको कैलकुलेट
करना पड़ेगा और फिर इक्वली वो हर एक शेर होल्डर में डिवाइड होगा पर एग्जांपल अगर किसी शेरहोल्डर के पास एक शेर है तो
उसको भी उतना ही परसेंट मिलेगा जितना की उसे कंपनी के सबसे ज्यादा शेर होल्डर के पास हो जाएगा तो डिविडेंड से क्या होता
है जो छोटे शेरहोल्डर्स होते हैं उनको काफी बेनिफिट हो जाता है आई होप डीज तू टॉपिक पर क्लियर तू यू थैंक यू पर वाचिंग
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Adani rails😂
Please sir kardijiye