दोस्तों नमस्कार यह है मार्गदर्शन फॉर सिविल सर्विसेज मैं अनुराग चौधरी दोस्तों आज की वीडियो में आप पढ़ेंगे
भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्त्वपूर्ण टॉपिक लोक वित्त और निजी वित्त यानी पब्लिक फाइनेंस एंड प्राइवेट फाइनेंस
क्या है इसमें प्रमुख अंतर क्या है और लोक वित्त का महत्व क्या है इसके बारे में यह वीडियो आपके आगामी सभी परीक्षाओं के
लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है तो सबसे पहले आइए जान ते हैं लोक वित्त के बारे में कि लोक वित्त क्या है आप सभी एडम स्मिथ
के बारे में जानते होंगे एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक कहा जाता है इनकी पुस्तक है वेल्थ ऑफ नेशंस और यह पुस्तक 1776
में प्रकाशित हुई थी और एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक वेल्थ ऑफ नेशंस में अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका का अध्ययन
करने वाले क्षेत्र को लोक वित्त कहा है दोस्तों लोक वित्त के विषय क्षेत्र के रूप में उन्होंने सरकार के राजस्व व्यय
और लोक ऋण को बताया है और लोक वित्त को समझने के लिए अगर आसानी से समझना है तो हम इसको इस प्रकार से परिभाषित कर सकते हैं
कि अर्थव्यवस्था यानी किसी भी इकॉनमी में सरकार की भूमिका का अध्ययन जो है वह लोक वित्त के अंतर्गत किया जाता है और
इसमें सरकार के आय व्यय यानी सरकार की जो इनकम होती है और एक्सपेंडिचर है उन सबका आकलन किया जाता है ये ऐसी शाखा है लोक
वित्त शाखा में सरकार के आय व्यय का आकलन किया जाता है और साथ ही साथ लोक वित्त में राज्य द्वारा अर्जित आय और
सार्वजनिक अधिकारियों को द्वारा किए गए व्यय का लेखा जोखा प्रस्तुत किया जाता है तो एक प्रकार से अगर जो हम थोड़ा सा
टेक्निकल शब्दावली में जो अर्थव्यवस्था की शब्दावली है उसके अंतर्गत समझेंगे तो लोकविकास या वित्तीय नीति स्थिरता
के साथ आर्थिक विकास को इसमें शामिल किया जाता है इसके अलावा सार्वजनिक व्यय सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
किया जाने वाला पूंजीगत और राजस्व व्यय शामिल है साथ ही साथ इसमें सार्वजनिक आय यानी जो पब्लिक इनकम होती है सरकार के
राजस्व और पूंजीगत स्रोतों से प्राप्त होने वाली जो मौद्रिक है उसको शामिल किया जाता है और साथ ही साथ इसमें
सार्वजनिक ऋण यानी बजट व्यवहारों से उत्पन्न राजकोष घाटे की पूर्ति के लिए जो ऋण लिया जाता है उसका अध्ययन किया जाता
है और लोक वित्त यानी पब्लिक फाइनेंस में वित्तीय प्रशासन वित्तीय क्रियाओं के प्रबंधन से जो संबंधित सारी चीजें
होती हैं वह लोक वित्त में शामिल होती हैं तो अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका का अध्ययन सरकार के आय वय का आकलन करने
वाली शाखा और इसके अंतर्गत राज्य द्वारा अर्जित है सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा किए गए व्यय का लेखा जोखा जो है वो
लोक वित्त के अंतर्गत इसमें शामिल होता है तो एक प्रकार से लोक वित्त में सार्वजनिक आय सार्वजनिक ऋण वित्तीय प्रशासन
राजकोष और वित्तीय नीति शामिल होते हैं लोक वित्त बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि लोक वित्त से जो है समावेशी विकास
को प्राप्त किया जाता है आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है भुगतान असंतुलन कम किया जाता है सामाजिक आर्थिक विषमता को
दूर किया जाता है संसाधनों का कुशल आवंटन इससे शामिल है और पूंजी निर्माण पर बल दिया जाता है लोक वित्त में और मुद्रा
स्फीति पर नियंत्रण तो लोक वित्त सरकार द्वारा किए गए जो आर्थ कार्य हैं या अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका का
अध्ययन करने वाली जो शाखा है वह लोक वित्त है और लोक वित्त जो है बहुत ही महत्त्वपूर्ण है ये एक प्रकार से आर्थिक स्तर
पर समानता और समरसता को बढ़ावा देती है आज जिस टॉपिक पर हम महत्त्वपूर्ण ढंग से इसमें हम बात करने वाले हैं लोक वित्त
और निजी वित्त क्या है तो लोक वित्त सरकार की गतिविधियों से अर्थव्यवस्था में सरकार की गतिविधियों को लोक वित्त कहा
जाता है उससे संबंधित होता है और किसी भी क्षेत्र में किसी भी अर्थव्यवस्था क्षेत्रक में जो निजी आर्थिक गतिविधियां
होती हैं उनको निजी वित्त कहा जाता है तो आइए जान लेते हैं लोक वित्त और निजी वित्त में क्या अंतर है लोक वित्त और निजी
वित्त में प्रमुख अंतर कौन से हैं इनके बारे में तो सबसे पहला अंतर क्या है लोक वित्त सरकार के आय और व्यय से संबंधित
होता है यहां पर मैं इसको लिख रहा हूं लोक वित्त जो है यह सरकार के आय व्यय से संबंधित होता है जैसा कि हमने पहले परिभाषा
में देखा है लोक वित्त सरकार के आय वय से संबंधित होता है जबकि निजी वित्त क्या होता है आप नाम से ही देख सकते हैं निजी
व्यक्ति निजी वित्त जो है यह व्यक्तिगत आय और व्यय से सं धित होता है तो लोक वित्त और निजी वित्त में पहला अंतर यह है कि
लोक वित्त सरकार के आय बय से संबंधित होता है जबकि निजी वित्त व्यक्तिगत आय व्यय से संबंधित होता है दूसरा प्रमुख अंतर
क्या है तो दूसरा प्रमुख अंतर लोक वित्त और निजी वित्त में है कि लोक वित्त का उद्देश्य देखिए लोक वित्त का उद्देश्य
क्या है ये सार्वजनिक हित या सार्वजनिक कल्याण को बढ़ावा देना सार्वजनिक हित या सार्वजनिक कल्याण यह लोक वित्त का
उद्देश्य होता है लेकिन निजी वित्त देखिए निजी वित्त का उद्देश्य यह व्यक्तिगत व्यक्तिगत हित की पूर्ति व्यक्तिगत
हित की पूर्ति करना होता है निजी वित्त इसके अंतर्गत निजी वित्त का उद्देश्य व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति करना और
व्यक्तिगत हित की पूर्ति है तीसरा प्रमुख अंतर क्या है लोक वित्त और निजी वित्त में तो देखिए लोक वित्त इसको हम पब्लिक
फाइनेंस कहते हैं पब्लिक फाइनेंस पब्लिक फाइनेंस सरकार के सरकार के निश्चित अवधि निश्चित अवधि में यानी एक वर्ष में
सरकार के निश्चित अवधि यानी एक वर्ष के आय व्यय का आय व्यय का लेखा जोखा तैयार होता है और जबकि निजी वित्त में निजी
वित्त में व्यक्ति जो है निजी वित्त में व्यक्ति या परिवार व्यक्ति या परिवार किसी निश्चित अवधि के लिए निश्चित अवधि
के लिए ऐसा कोई लेखा जोखा तैयार नहीं करते हैं तो लोक वित्त में सबसे लोक वित्त और निजी वित्त में एक अंतर यह है कि लोक
वित्त में सरकार के निश्चित अवधि सामान्य रूप से एक वर्ष में आय व्यय का लेखा जोखा तैयार किया जाता है लेकिन निजी वित्त
जो होता है उसमें परिवार किसी ऐसे निश्चित अवधि के लिए आय वय का लेखा जोखा नहीं करते हालांकि वह अपने आर्थिक जो है
अनुमान जरूर जरूर लगाते हैं मोटा मोटा लेकिन इस तरह से जिस तरह से सार्वजनिक वित्त में होता है ऐसा नहीं करते हैं देखिए
लोक वित्त का जो क्षेत्र होता है लोक वित्त का क्षेत्र बहुत व्यापक होता है यानी ब्रॉड लेवल पर होता है लोक वित्त का
क्षेत्र जबकि निजी वित्त निजी वित्त का क्षेत्र जो है ये सीमित होता है तो यह भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण अंतर है लोक
वित्त का क्षेत्र अधिक व्यापक होता है और इसमें सरकार की योजनाओं के विस्तार के संदर्भ में हम समझ सकते हैं और सरकार का
जैसे-जैसे कल्याणकारी कार्य बढ़ रहा है उसी तरह से इसके क्षेत्र में और भी अधिक वृद्धि हो रही है जबकि निजी वित्र का
क्षेत्र सीमित होता है इसे व्यक्ति विशेष की योजना के संदर्भ में समझ सकते हैं अगला और लास्ट अंतर क्या है लोक वित्त और
निजी वित्त में तो लोक वित्त में उच्च स्तरीय कराधान लोक वित्त में उच्च स्तरीय कराधान यानी टैक्सेशन निम्न स्तरीय
व्यय निम्न स्तरीय व्यय के कारण सरकार के बजट आधिक्य को हमेशा अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि यह
बजट आधिक्य प्राय निवेश की कमी को प्रदर्शित करता है जबकि निजी वित्त में उच्च आय के अर्जन और आय के कुशलम उपयोग को
करते हुए निम्न व्यय के कारण व्यक्ति के आधिक के बजट को हमेशा अच्छा माना जाता है क्योंकि यह बजट आधिक के हमेशा बचत को
दर्शाता है तो उच्च स्तरीय कराधान और निम्न स्तरीय व्यय जो होता है इसमें सरकार के बजट आधिक्य को हमेशा जो है इकॉनमी के
लिए अच्छा नहीं माना जाता यह बजट आधिक के हमेशा निवेश की कमी को प्रदर्शित करता है जबकि जो निजी वित्त होता है उसमें
उच्च आय अर्जन का स्रोत होता है यानी हर व्यक्ति चाहता है कि वह अधिक से अधिक आय प्राप्त करें और उसका कुशलम उपयोग करते
हुए कम व्यय जो निजी व्य निजी वित्त होता है निजी वित्त का प्रमुख उद्देश्य उच्च आय उच्च आय अर्जन और निम्न व्यय होता
है और इसीलिए यह बचत को प्रोत्साहित करता है और यह अच्छा होता है तो दोस्तों यह था आज का वीडियो अर्थव्यवस्था के
अंतर्गत महत्त्वपूर्ण टॉपिक लोक वित्त और निजी वित्त यानी पब्लिक एंड प्राइवेट फाइनेंस क्या है और साथ ही साथ इसमें
हमने जाना कि लोक वित्त और निजी वित्त में प्रमुख अंतर क्या है उनके बारे में यह वीडियो भारतीय अर्थव्यवस्था के
सामान्य जानकारी के साथ जो सामान्य अध्ययन का टॉपिक है अर्थव्यवस्था का उसके लिए भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण है आप इसको
अच्छे से तैयार कर लीजिएगा यह वीडियो आपको कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा वीडियो को लाइक करें शेयर करें
और इस चैनल मार्गदर्शन फॉर सिविल सर्विसेस को सब्सक्राइब करें वीडियो देखने के लिए धन्यवाद दोस्तों नमस्कार
CashNews, your go-to portal for financial news and insights.
Onliner lucent gk Karva dijiye plz sir ji
Tre 4 ke lia revision mahesh ki book karaye please one liner
Bhai mai apka video bahut pehle se देखते है महेश वर्नमल बुक
Sst tgt ka model paper start kare sir.
नमस्ते सहाब 🙏
सर कृपया लुसेंट gk एक बार पूरी कम्पलीट कर दीजिये🙏, सभी एग्जाम में काम आती है,इस से कम्पलीट gk, gs की तैयारी हो जाति है,, आपकी आपकी आवाज में अच्छे से याद हो जाती है