November 15, 2024
What Is Accounting? | Introduction | Meaning | Definition | Financial Accounting | In Hindi |
 #Finance

What Is Accounting? | Introduction | Meaning | Definition | Financial Accounting | In Hindi | #Finance


हेलो दोस्तों वेलकम तू अकाउंटिंग सीखो दोस्तों आज की इस वीडियो से हम एक न्यू सब्जेक्ट स्टार्ट कर रहे हैं

फाइनेंशियल अकाउंटिंग आगे की जो भी आने वाली वीडियो होगी वही इस फाइनेंशियल अकाउंटिंग से ही होंगे जिसमें हम अलग-अलग

अकाउंटिंग के जो टॉपिक हैं उनको कर करेंगे आज की यह वीडियो अकाउंटिंग की एक इंट्रोडक्शन वीडियो है जिसमें हम

अकाउंटिंग के ओवर जो कॉन्सेप्ट के बड़े में समझेंगे की अकाउंटिंग के कॉन्सेप्ट क्या है अकाउंटिंग क्योंकि जाति है

हमें इसकी जरूर क्यों पड़ती है या बिजनेस के लिए क्यों जरूरी होती है फिर इसी में आगे हम इसकी मीनिंग डेफिनेशन इसको हम

डिस्कस करेंगे तो यह इंट्रोडक्शन वीडियो आपके लिए बहुत ही इंपॉर्टेंट है तो कम से कम इसे एक बार कंप्लीट जरूर देखें

दोस्तों बिजनेस चाहे छोटा हो या बड़ा हर तरह के बिजनेस के लिए अकाउंटिंग की जरूर पड़ती है उसके अंदर जितने भी लेन-देन

होते हैं जो ट्रांजैक्शंस होते हैं ट्रांजैक्शंस का मतलब बिजनेस में जो हम समाज खरीदने हैं फिर उसे कस्टमर को भेजते

हैं या कोई चीज बनाने के लिए कोई रा मटेरियल का सामग्री खरीदने हैं उससे कोई प्रोडक्ट बनाते हैं फिर उसे कस्टमर को

अलग-अलग पार्टी को भेजते हैं तो किसी को उधर में बेचना खुद उधर में खरीदना अलग-अलग खर्च हो रहे हैं तो अलग-अलग खर्चो को

पे करना आने-जाने के लिए ट्रैवलिंग के लिए खाने-पीने के लिए मार्केटिंग के लिए एडवरटाइजमेंट के लिए ऐसे बहुत सारे खर्च

होते हैं उसे बिजनेस या उसे कंपनी के जो एम्पलाइज हैं उन्हें सैलरी देना रेंट पे करना इसी तरह के बहुत सारे

ट्रांजैक्शंस होते हैं तो एक बिजनेसमैन के लिए जो अलग-अलग ट्रांजैक्शंस हो रहे हैं वह इन सारे ट्रांजैक्शंस को याद

नहीं रख सकता है की किस कितना पैसा लेना है किसको कितना पेड़ कर दिए हैं कौन-कौन से हमारे खर्च हो रहे हैं वह कितने हो

रहे हैं कोई प्रोडक्ट बना रहे हैं तो उसकी लागत क्या ए रही है उसकी कॉस्ट निकालकर क्या ए रही है कोई समाज खरीद रहे हैं अब

उसे सेल करना है तो उसे कितने में सेल करेंगे तो इन साड़ी चीजों के लिए हमें सिस्टमैटिक तरीके से रिकॉर्डिंग करनी पद

रही है ताकि साड़ी चीज हमें क्लियर पता चल सके की हमारे उसे बिजनेस से आगे प्रॉफिट होगा या नहीं या अभी हो रहा है या फिर

नहीं तो इसके लिए हमें अकाउंटिंग की जरूर पड़ती है अकाउंटिंग की जाति है अब यह अकाउंटिंग पहले मैन्युअल की जाति थी

जिसमें एक रजिस्टर में अपने अकाउंट्स का सर लेख जोखा रखते थे पर आजकल जो अकाउंटिंग की जा रही है वह कंप्यूटर में

अलग-अलग सॉफ्टवेयर्स की हेल्प से की जा रही है मार्केट में ऐसे बहुत सारे सॉफ्टवेयर्स ए गए हैं जिनका उसे करके आप अपने

बिजनेस के अकाउंट्स को काफी अच्छे तरीके से मेंटेन कर सकते हैं मैनेज कर सकते हैं तो इस तरह अकाउंटिंग के बिना या

पॉसिबल ही नहीं है की कोई अपने बिजनेस को इस मुदली अच्छे से चला सके तो इसलिए हमें अकाउंटिंग के कॉन्सेप्ट के बड़े में

अकाउंटिंग के बड़े में समझना बहुत जरूरी है तो सबसे पहले समरी की तरह इसे आपको बता डन फिर आगे हम इसके बड़े में अच्छे से

समझते जाएंगे तो जब भी कोई बिजनेस किया जाता है तो उसे बिजनेस के अंदर तो अलग-अलग तरह के ट्रांजैक्शंस होते हैं जो

लेनदेन होते हैं उनकी हम सबसे पहले पहचान करते हैं उनकी आईडेंटिफिकेशन करते हैं और फिर एविडेंस के बेसिस पर उनकी हम

रिकॉर्डिंग करते हैं या उन ट्रांजैक्शंस को हम रिकॉर्ड करते हैं अब रिकॉर्ड ये किसमे करते हैं ये हम जनरल में करते हैं

या फिर सब्सिडियरी बुक्स में करते हैं तो अलग-अलग तरह की बुक्स होती हैं जिसमें हम इन ट्रांजिशन की रिकॉर्डिंग करते

हैं जैसे-जैसे वे ट्रांजिशन हुए उन्हें क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर में मेंस डेट वाइस उनकी रिकॉर्डिंग करने के बाद उनका फिर

क्लासिफिकेशन करते हैं मेंस उनको अलग-अलग हम हेड में बांट देते हैं जैसे इसमें कैश के ट्रांजिशन अलग क्रेडिट के अलग

अलग जो एक्सपेंस हुए हैं जो खर्च हुए हैं उनको अलग इनकम जो है वह अलग अकाउंट में इसी तरह अलग-अलग कैटिगरीज बन जाति हैं या

से नेचर के जो ट्रांजैक्शंस होते हैं उनको हम एक जगह पर उनका अकाउंट बना देते हैं अब जो अलग-अलग क्लासिफिकेशन कर दिया

गया है अलग-अलग सारे लेटेस्ट अकाउंट बना दिए गए हैं अब इसके बाद एक समरी तैयार करते हैं एक समराइज फॉर्म प्रिपेयर करते

हैं यानी एक जगह पर साड़ी चीजों को लिखने हैं जिसमें ट्रायल बैलेंस बनाते हैं और फाइनल अकाउंट बनाते हैं ट्रायल

बैलेंस में जो लेजर अकाउंट बनाए गए हैं उनमें क्या डेबिट बैलेंस है क्या क्रेडिट बैलेंस है तो ट्रायल बैलेंस में हम

डेबिट के कलम में डेबिट बैलेंस क्रेडिट के कलम में क्रेडिट बैलेंस को लिखने हैं और उनका टोटल करते हैं और फिर इसके बाद

फाइनल अकाउंट प्रिपेयर करते हैं जिसमें ट्रेडिंग अकाउंट प्रॉफिट और लॉस अकाउंट और बैलेंस सीट बनाई जाति है ट्रेडिंग

अकाउंट में हमारे बिजनेस के सारे डायरेक्ट एक्सपेंस प्रॉफिट और लॉस अकाउंट में सारे इनडायरेक्ट एक्सपेंस आते हैं और

जो बैलेंस सीट बनाई जाति है उसमें बिजनेस की असेट्स और लायबिलिटी को शो किया जाता है की बिजनेस के पास कितनी असेट्स है

उसकी कैपिटल कितनी है और उसकी लायबिलिटी क्या क्या है यह साड़ी चीज बैलेंस सीट में लिखी जाति है इस बैलेंस सीट से उसे

बिजनेस की पोटेंशियल पोजीशन क्या है उसकी वित्तीय स्थिति क्या है इसका पता चला है की वह बिजनेस आगे चलने लायक है या फिर

नहीं उसे बिजनेस के पास अभी कितना पैसा है उसकी जो रिकॉर्डिंग की गई है वो ठीक तरीके से की गई है या फिर नहीं इन साड़ी

चीजों की जानकारी मिलती है तो दोस्तों इसी तरह बिजनेस में अकाउंटिंग की जाति है अब इस अकाउंटिंग करने के अलग-अलग जो

रूल्स होते हैं उन्हें फॉलो किया जाता है की कैसे किसी अकाउंट को डेबिट करना है कैसे क्रेडिट करना है जनरल एंट्री कैसे

करनी है उसकी फिर लेजर में पोस्टिंग कैसे करनी है पोस्टिंग करने के बाद उसकी बैलेंसिंग की जाति है उसका बैलेंस निकाला

जाता है फिर उसके बाद ट्रायल बैलेंस में उसे लिखा जाता है तो इसी तरह यह जो अलग-अलग चीज हैं अलग-अलग जो टर्म्स ए रहे हैं

इनको हम आगे की आने वाली वीडियो में कर करते जाएंगे इनके बड़े में समझते जाएंगे अभी आप इन साड़ी चीजों पर ध्यान ना देकर

अभी आप बस या समझ लीजिए की अकाउंटिंग क्या होती है या क्यों की जाति है इसकी मीनिंग क्या है इसकी डेफिनेशन क्या है इसके

ऑब्जेक्टिव्स क्या क्या होते हैं अभी आप बस इसके बड़े में जान लीजिए फिर आगे की आने वाली वीडियो में आप धीरे-धीरे इसके

बड़े में समझते जाएंगे दोस्तों आई जानते हैं मीनिंग ऑफ अकाउंटिंग के बड़े में क्या अकाउंटिंग का क्या अर्थ है इसका

क्या मतलब होता है अकाउंटिंग इसे डी प्रोसेस ऑफ रिकॉर्डिंग क्लासीफाइंग और समर राइजिंग फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस तू

प्रोवाइड इनफॉरमेशन डेट इस यूजफुल इन मेकिंग बिजनेस डिसीजंस इसका मतलब यह हुआ की अकाउंटिंग एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें

फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस की मतलब बिजनेस के वह लेन-देन जिसमें मनी इंवॉल्व होता है जो पैसे से रिलेटेड होते हैं तो

इनकी रिकॉर्डिंग करना रिकॉर्ड किया गए फिर डाटा को क्लासीफाइड करना उसे वर्गीकृत करना या बांटना फिर उसके बाद उसकी एक

समुराई फॉर्म तैयार करना उसकी एक समरी प्रिपेयर करना या फिर यह भी कर सकते हैं की उसे शॉर्ट में प्रेजेंट करना उसे

इनफॉरमेशन को उसके यूजर को प्रोवाइड करना उन्हें भेजना ताकि वह उसे बिजनेस से रिलेटेड सही डिसीजन ले सके मतलब डिसीजन

लेने में हेल्प करें तो इस तरह सारे ट्रांजैक्शंस को आईडेंटिफाई करने के बाद उसकी रिकॉर्डिंग करते हैं उसके बाद उसे

क्लासीफाइड करते हैं और फिर उसके बाद उसकी एक समरी तैयार करते हैं और इसके जो यूजर्स होते हैं जो इन इनफॉरमेशन के बेसिस

पर बिजनेस के लिए डिसीजन लेते हैं तो उन्हें या डाटा शो किया जाते हैं ताकि वह सही डिसीजन ले सकें इस तरह यह जो

इनफॉरमेशन होती है या बिजनेस डिसीजंस के लिए काफी यूजफुल होती है आगे जानते हैं मीनिंग ऑफ रिकॉर्डिंग रिकॉर्डिंग का

क्या मतलब होता है क्या अर्थ होता है ओनली दोस्त ट्रांजैक्शंस आर रिकॉर्ड इन अकाउंटिंग विच आर ऑफ फाइनेंशियल करैक्टर

तो जो भी बिजनेस एक्टिविटीज की जा रही है जो भी ट्रांजैक्शंस हो रहे हैं चाहे वह परचेज के हो सेल्स के हो या फिर किसी

एक्सपेंस को पेड़ कर रहे हो तो सबसे पहले इन सभी ट्रांजिशन की पहचान की जाति है की वह मॉनिटरी टर्म में है या नहीं

अकाउंटिंग में ट्रांजैक्शंस रिकॉर्ड करते हैं जो फाइनेंशियल करैक्टर के होते हैं जिसमें मनी इंवॉल्व होता है

क्योंकि बिजनेस में बहुत सारे ट्रांजैक्शंस होते रहते हैं पर उनमें से मॉनिटरी नेचर के जो ट्रांजैक्शंस होते हैं जो

मनी की फॉर्म में होते हैं उन्हें ही हम रिकॉर्ड करते हैं यहां लिखा हुआ है रिकॉर्डिंग इन जनरल और यह जो रिकॉर्डिंग की

जाति है या हम जनरल में करते हैं और इसे हम क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर में ही रिकॉर्ड करते हैं मतलब इन सभी ट्रांजिशन को डेट

वाइस ही रिकॉर्ड किया जाता है जैसे जैसे वे बिजनेस में होते जाते हैं अब जैसे आज की डेट में जो ट्रांजैक्शंस होंगे

उन्हें आज की डेट में कल जो ट्रांजैक्शन होंगे उन्हें कल की डेट में लिखेंगे इसी तरह आगे जितने भी ट्रांजैक्शन जी जी

डेट में होते जाते हैं इस डेट में हम इनकी रिकॉर्डिंग करते जाते हैं तो इसी को हम क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर बोलते हैं तो एक

सीक्वेंस में और डेट वाइस सारे ट्रांजैक्शंस की रिकॉर्डिंग की जाति है आगे हम जानते हैं मीनिंग ऑफ क्लासीफाइंग

क्लासीफाइंग का क्या अर्थ होता है क्लासिफिकेशन इसे डी प्रोसेस ऑफ ग्रुपिंग डी ट्रांजैक्शंस ऑफ वन नेचर आते वन प्लेस

इन एन सेपरेट अकाउंट क्लासिफिकेशन एक ऐसी प्रोसेस होती है जिसमें से नेचर के जो ट्रांजैक्शंस होते हैं मेंस ऐसे

ट्रांजैक्शंस जिनका नेचर से होता है जो एक जैसे होते हैं एक तरह के होते हैं तो उनकी एक जगह पर एक सेपरेट अकाउंट बनाकर

उनकी ग्रुपिंग की जाति है जिसे लेजर पोस्टिंग करना कहते हैं अब यहां लिखा हुआ है पोस्टिंग तू डी लेजर लेजर में

पोस्टिंग करना इंक्रीज को ट्रांसफर करना यहां अलग-अलग लेजर अकाउंट बनाए जाते हैं जो बिजनेस में अलग-अलग लोगों से समाज

परचेज किया गया है तो इन सबको पहले सीरियल वाइस जनरल में रिकॉर्ड कर लेते हैं फिर इसके बाद इनका सेपरेट लेजर अकाउंट

बनाते हैं तो इस परचेज अकाउंट में जितनी यही इंक्रीज परचेज से रिलेटेड होगी वह साड़ी यहां एक जगह पर लिखी जाएगी इसी तरह

साड़ी एंट्रीज का अलग-अलग क्लासिफिकेशन करते हैं उनका अलग-अलग लेजर अकाउंट बनाते हैं सेल्स का अलग-अलग अकाउंट बनाते

हैं किसी पार्टी से कोई लेने दें हो रहा है तो उसे पार्टी का अलग लेजर अकाउंट बना लेंगे इसी तरह जो बिजनेस के अलग-अलग

खर्च हैं जैसे सैलरी पे की जा रही है तो सैलरी का अलग-अलग अकाउंट रेंट पे किया जा रहा है तो रेंट का अलग अकाउंट तो इस तरह

इसे क्लासीफाइड कर देने से एक इंडिविजुअल अकाउंट की कंप्लीट इनफॉरमेशन हमें मिलती है आगे जानते हैं मीनिंग ऑफ समर

राइजिंग समराइजिंग यह जो शब्द है इसका क्या मतलब होता है अंडरस्टैंडेबल और यूजफुल तू मैनेजमेंट और अदर यूजर्स ऑफ सच

डाटा इन डाटा को इस तरह से प्रेजेंट करने की शो करने की दूसरों को बताने की जिसे अच्छे से समझा जा सके और यह जो डाटा है यह

उसे बिजनेस के मैनेजमेंट और दूसरे यूजर्स के लिए यूजफुल हो वह उसे अच्छे से समझ सके और इस के बेसिस पर वह बिजनेस के

डिसीजन को ले सकें अब यहां यूजर्स में आप जान लेने की बिजनेस या कंपनी के जो यूजर्स होते हैं वह दो तरह के होते हैं एक

इंटरनल यूजर्स और दूसरा एक्सटर्नल यूजर्स तो इंटरनल यूजर्स में कौन-कौन ए जाएंगे जैसे मैनेजमेंट टीम है जो किसी

बिजनेस या कंपनी के मैनेजमेंट देख रही है उसके यूनिट मैनेजर है स्टोर मैनेजर है उसके सुपरवाइजर हैं जो उसे बिजनेस के

अंदर कम कर रहे हैं उसे कंपनी के अंदर वह कम कर रहे हैं और उन्हें उसे बिजनेस की साड़ी इनफॉरमेशन को शो किया जाता है इसके

अलावा एक्सटर्नल यूजर्स भी होते हैं जिनको यह इनफॉरमेशन शो की जाति है अब जैसे कोई कंपनी है तो उसके जो शेरहोल्डर्स

होते हैं जो क्रेडिटर होते हैं उनको यह इनफॉरमेशन दी जाति है अब इसमें बैंक भी आएंगे जैसे कंपनी के लोन लेना है तो उसकी

क्या फाइनेंशियल कंडीशन है वह अपनी रिपोर्ट इस बैंक को शो करती है टैक्स अथॉरिटी जो है जो कस्टमर है तो यह सारे

एक्सटर्नल यूजर्स हैं तो यहां लिखा हुआ है प्रिपेयर ट्रायल बैलेंस और फाइनल अकाउंट तो यह जो एक समुराई फॉर्म तैयार की

जाति है एक समरी प्रिपेयर की जाति है इसमें ट्रायल बैलेंस बनाते हैं जिससे आप पता चला है की हमारे सारे जो पिछले अकाउंट

है वह सही है या नहीं जो जनरल में एंट्री की गई है जो उसकी लेजर पोस्टिंग की गई है उसका जो बैलेंसिंग किया गया है तो वह

सारे बैलेंस बराबर हैं या नहीं इसकी जानकारी हमें इस ट्रायल बैलेंस से मिलती है जिसमें एक तरफ हम सारे डेबिट बैलेंस को

लिखने हैं और दूसरी तरफ सारे क्रेडिट बैलेंस को लिखने हैं और फाइनल अकाउंट में ट्रेडिंग अकाउंट बनाए जाते हैं प्रॉफिट

और लो अकाउंट बनाए जाते हैं और बैलेंस सीट प्रिपेयर की जाति है जिसमें उसे बिजनेस की साड़ी असेट्स और लायबिलिटी को शो

किया जाता है तो ट्रेडिंग अकाउंट में बिजनेस के सारे डायरेक्ट एक्सपेंस डायरेक्ट इनकम को लिखने हैं प्रॉफिट और लॉस

अकाउंट यानी पी ल अकाउंट में सारे इनडायरेक्ट एक्सपेंस और इनडायरेक्ट इनकम जो होती है उनको लिखने हैं और बैलेंस सीट

जो होती है इसमें बिजनेस की साड़ी असेट्स और लायबिलिटी को शो किया जाता है की कितनी उसकी पास असेट्स है कितनी कैपिटल है

उसकी नेट इनकम क्या है और उसकी लायबिलिटी क्या-क्या है कितना लोगों को पे करना अभी बाकी है तो अकाउंटिंग में हम सबसे

पहले जनरल प्रिपेयर करते हैं फिर उसके बाद इनकी पोस्टिंग हम लेजर में करते हैं और इस लेजर की पोस्टिंग और इसकी

बैलेंसिंग करने के बाद हम ट्रायल बैलेंस और फाइनल अकाउंट बनाते हैं अब अकाउंटिंग की एक डेफिनेशन देखते हैं डेफिनेशन

ऑफ अकाउंटिंग बाय आर एन एंथोनी के द्वारा या डेफिनेशन दी गई है नरली एवरी बिजनेस इंटरप्राइज अकाउंटिंग सिस्टम आईटी इस

एन मेंस ऑफ कलेक्टिंग समरिजिंग एनालाइजिंग और रिपोर्टिंग इन मॉनिटरी टर्म्स इनफॉरमेशन अबाउट बिजनेस लगभग हर एक

बिजनेस के पास अपना एक अकाउंटिंग सिस्टम होता है इस के अकॉर्डिंग वो अपने अकाउंट्स को मेंटेन करते हैं साड़ी चीजों को

वो रिकॉर्ड करते हैं तो उसे बिजनेस की जो इनफॉरमेशन है जो मॉनिटरी टर्म में है तो उन्हें कलेक्ट करना मेंस एकत्रित

करना एक जगह पर उन्हें रिकॉर्ड करना और उसकी एक समृत तैयार करना फिर उसके बाद उसका एनालिसिस करना उसका विश्लेषण करना

और उसे यूजर्स को रिपोर्ट करना है दोस्तों बस आज की वीडियो में इतना ही उम्मीद करता हूं आपको यह वीडियो यूजफुल लगी होगी

अब आपको इस अकाउंटिंग का बेसिक इंट्रोडक्शन मीनिंग और डेफिनेशन समझ में ए गई होगी अब इसकी नेक्स्ट वीडियो में हम इसके

ऑब्जेक्टिव्स को डिटेल में समझेंगे की इसके ऑब्जेक्टिव्स क्या क्या होते हैं तो चैनल से जुड़े रहे आप चाहे तो इस चैनल

को सब्सक्राइब भी कर सकते हैं या बिल्कुल फ्री है इससे आगे की आने वाली वीडियो की नोटिफिकेशन आपको मिलती रहेगी थैंक

यू

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24 thoughts on “What Is Accounting? | Introduction | Meaning | Definition | Financial Accounting | In Hindi | #Finance

  1. Sir jb hm opening entry pass krte hain usme agr liability asset se zyada ho to capital dr. Krte hain ya Goodwill..i saw in some cases..many students write in capital dr. And some Goodwill dr. Lkin capital dr. To. Nhi ho skta na as it's balance always cr. .. please aap bta dijiye smjh nhi aarha..

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